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संस्कृत में अपार ज्ञान विज्ञान का भंडार: बालकृष्ण

Dehradun Bureau देहरादून ब्यूरो
Updated Mon, 24 Jun 2019 11:36 PM IST
संस्कृत में अपार ज्ञान विज्ञान का भंडार: बालकृष्ण
- फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

ब्यूरो/अमर उजाला, हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत में ज्ञान और विज्ञान का अपार भंडार समाहित है। वर्तमान दौर में संस्कृत के ज्ञान को दैनिक जीवन में अपनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार नई भारतीय शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति व संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के काम पर जोर दे रही है। बालकृष्ण गुरुकुल कांगड़ी विवि में शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संवर्धन कार्यशाला के शुभारंभ बोल रहे थे।



गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संवर्धन कार्यशाला में मुख्य अतिथि आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत में निहित ज्ञान और विज्ञान को शोध के माध्यम से दुनिया के सामने लाया जा सकता है। मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि आज देश में जहां संस्कृत भाषा उपेक्षा का दंश झेल रही है, वही विदेशों में कईं देश इस भाषा की प्रमाणिकता को स्वीकार कर इसे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित कर इसमें समाहित ज्ञान के भंडार का लाभ वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाये जाने के प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति प्रो. विनोद कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित किये जाने की दिशा में हमें अपने घरों से ही संस्कृत बोलने की शुरुआत की जानी चाहिए। विवि के कुल सचिव प्रो. पीसी जोशी ने कहा कि निश्चित रूप से दो दिन तक चलने वाले इस ज्ञान मंथन से अमृतरूपी कलश निकलकर अवश्य आएगा जो हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य को उज्जवल करेगा। पद्मश्री रमाकांत शुक्ल राष्ट्रकवि ने कहा कि नवोदय विद्यालय में 32 सालों से संस्कृत नहीं थी।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं संस्कृत शिक्षक संघ दिल्ली के प्रयासों से अब नवोदय विद्यालयों में संस्कृत को तृतीय एच्छिक विषय के रूप में लागू करने का प्रावधान कर दिया गया है। संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. ब्रह्मदेव और प्रो. सोमदेव शतांशु ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। बताया कि कार्यशाला में 225 छात्र-छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्याशाला में प्रो. ऋषभ प्रसाद सैन, ईश्वर दयाल कंसल, प्रो. रामनाथ झा, प्रो. नरेश धीमान, प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रो. एलपी पुरोहित, प्रो. वीके सिंह, प्रो. सोहनपाल सिंह आर्य, डॉ. मोहर सिंह मीणा, प्रो. पीपी पाठक, डॉ. पवन, डॉ. संदीप उपाध्याय, प्रवीण, प्रकृति, संदीप उनियाल, प्रदीप आदि मौजूद थे।

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