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चंपावत। राजकीय महाविद्यालय में आवासीय सुविधा मिल सकेगी। जिसके तहत शिक्षक और छात्रों को आवासीय सुविधा मुहैया होगी। व्यवसायिक विषयों की पढ़ाई भी हो सकेगी। महाविद्यालय को मॉडल कॉलेज बनाने की पहल शुरू हो गई है। मॉडल कॉलेज का सबसे बड़ा लाभ शोधार्थी छात्रों को मिलेगा। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत चंपावत महाविद्यालय को मॉडल कॉलेज बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
प्राचार्य और रूसा के राज्य स्तरीय तकनीकी सहयोग सदस्य डा.सीडी सूंठा के मुताबिक मॉडल कॉलेज में एक मल्टीप्लेक्स कांफ्र्रेंस हॉल, आधुनिक लाइब्रेरी भवन, कंप्यूटर लैब प्रस्तावित है। साथ ही व्यवसायिक शिक्षा के तहत एमसीए, एमबीए, बीबीए तथा कानून आदि विषयों की पढ़ाई हो सकेगी। खेल मैदान, बास्केटबॉल कोर्ट और कॅरियर काउसंलिंग की सुविधा भी दी जाएगी। अवस्थापना के तहत नया भवन तथा 120 छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षकों के लिए आवासीय भवन बनेंगे। डा.सूंठा का कहना है कि आवासीय विद्यालय होने से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही कई तरह की सुविधा मिल सकेगी।
मॉडल कॉलेज का दर्जा मिलने से शोधार्थियों को शोध करने के अधिक अवसर मिल सकेंगे। विषय और शिक्षक बढ़ने से उन्हें इसके लिए अन्य कॉलेजाें की शरण नहीं लेनी होगी।
चंपावत। राजकीय महाविद्यालय में आवासीय सुविधा मिल सकेगी। जिसके तहत शिक्षक और छात्रों को आवासीय सुविधा मुहैया होगी। व्यवसायिक विषयों की पढ़ाई भी हो सकेगी। महाविद्यालय को मॉडल कॉलेज बनाने की पहल शुरू हो गई है। मॉडल कॉलेज का सबसे बड़ा लाभ शोधार्थी छात्रों को मिलेगा। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत चंपावत महाविद्यालय को मॉडल कॉलेज बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
प्राचार्य और रूसा के राज्य स्तरीय तकनीकी सहयोग सदस्य डा.सीडी सूंठा के मुताबिक मॉडल कॉलेज में एक मल्टीप्लेक्स कांफ्र्रेंस हॉल, आधुनिक लाइब्रेरी भवन, कंप्यूटर लैब प्रस्तावित है। साथ ही व्यवसायिक शिक्षा के तहत एमसीए, एमबीए, बीबीए तथा कानून आदि विषयों की पढ़ाई हो सकेगी। खेल मैदान, बास्केटबॉल कोर्ट और कॅरियर काउसंलिंग की सुविधा भी दी जाएगी। अवस्थापना के तहत नया भवन तथा 120 छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षकों के लिए आवासीय भवन बनेंगे। डा.सूंठा का कहना है कि आवासीय विद्यालय होने से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही कई तरह की सुविधा मिल सकेगी।
मॉडल कॉलेज का दर्जा मिलने से शोधार्थियों को शोध करने के अधिक अवसर मिल सकेंगे। विषय और शिक्षक बढ़ने से उन्हें इसके लिए अन्य कॉलेजाें की शरण नहीं लेनी होगी।