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चंपावत। हाल में आई आपदा के बाद अब प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग ने जिले की मुख्य सड़क और आंतरिक सड़कों पर स्थित पुलों की डिटेल एकत्र करनी शुरू कर दी है। नेशनल हाइवे, लोनिवि और पीएमजीएसवाई की सड़कों पर बने हर पुल की उम्र, उसके आसपास की जमीन की स्थिति, पुल के नीचे बहने वाली नदी के प्रवाह में आ रहे उतार चढ़ाव आदि की सूचनाएं एकत्रित की जा रही हैं।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मनोज पांडे ने बताया कि सीमा सड़क संगठन, लोक निर्माण विभाग और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है। उनसे हर पुल की स्थिति की डिटेल मांगी गई है। बता दें कि आपदा के समय कुमाऊं तथा गढ़वाल मंडल में पैदल पुलों, मोटर पुलों और झूलापुलों के नष्ट होने की कई घटनाएं सामने आई थी। पुलों के नष्ट होने से लोगों के आवागमन में भारी दिक्कत खड़ी हो गई। श्री पांडे ने बताया कि पुलों की रिपोर्ट आ जाने के बाद यदि किसी में मरम्मत या फिर सुधारीकरण की जरूरत होगी तो उसके लिए संबंधित विभाग को लिखा जाएगा। पर्वतीय अंचल के सड़क मार्गों में मैदान की अपेक्षा पुलों की संख्या ज्यादा होती है। इनमें से कई पुल खतरनाक नदियों और नालों के ऊपर बने हैं। टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर 270 किलोमीटर की दूरी में 27 छोटे और आठ बड़े पुल हैं।
चंपावत। हाल में आई आपदा के बाद अब प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग ने जिले की मुख्य सड़क और आंतरिक सड़कों पर स्थित पुलों की डिटेल एकत्र करनी शुरू कर दी है। नेशनल हाइवे, लोनिवि और पीएमजीएसवाई की सड़कों पर बने हर पुल की उम्र, उसके आसपास की जमीन की स्थिति, पुल के नीचे बहने वाली नदी के प्रवाह में आ रहे उतार चढ़ाव आदि की सूचनाएं एकत्रित की जा रही हैं।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मनोज पांडे ने बताया कि सीमा सड़क संगठन, लोक निर्माण विभाग और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है। उनसे हर पुल की स्थिति की डिटेल मांगी गई है। बता दें कि आपदा के समय कुमाऊं तथा गढ़वाल मंडल में पैदल पुलों, मोटर पुलों और झूलापुलों के नष्ट होने की कई घटनाएं सामने आई थी। पुलों के नष्ट होने से लोगों के आवागमन में भारी दिक्कत खड़ी हो गई। श्री पांडे ने बताया कि पुलों की रिपोर्ट आ जाने के बाद यदि किसी में मरम्मत या फिर सुधारीकरण की जरूरत होगी तो उसके लिए संबंधित विभाग को लिखा जाएगा। पर्वतीय अंचल के सड़क मार्गों में मैदान की अपेक्षा पुलों की संख्या ज्यादा होती है। इनमें से कई पुल खतरनाक नदियों और नालों के ऊपर बने हैं। टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर 270 किलोमीटर की दूरी में 27 छोटे और आठ बड़े पुल हैं।