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गंगोलीहाट (पिथौरागढ़)। यहां चामुंडा रोड स्थित अन्ना संगीत प्रशिक्षण केंद्र में रातभर जमी होली की महफिल में जमी रही।
बैठक की शुरुआत वरिष्ठ संगीतकार शंकर लाल चौधरी ने राग श्याम कल्याण में माई के मंदिरवा में दीपक वारूं से की। संगीत मास्टर हरीश मिरासी ने राग काफी में ‘भव भंजन गुण गाऊं में अपने राम को रिझाऊं’ से भगवान राम की महिमा का बखान किया। प्रशिक्षण केंद्र के संचालक श्यामाचरण उप्रेती ने ‘कैसी री सरकार बनाई अंधी री माई’ की प्रस्तुति दी तो युवा कलाकार त्रिभुवन पाठक ने राग जंगला काफी में ‘ऐसे बृज के बसन से में आई री बाज’ की सुंदर प्रस्तुति दी। वरिष्ठ संगीतज्ञ आनंद बल्लभ उप्रेती ने राग श्याम कल्याण में कुमाऊंनी के आदि कवि लोकरत्न पंत गुमानी की रचना का विधि फाग रचाऊं मुरली नागिन सों, बंसिया नागिन सों की प्रस्तुति देकर महफिल में चार चांद लगा दिए।
वीरेंद्र रावल ने राग धमार में ‘चंद्रवदनि खोलो द्वार तिहारे मनमोहन ठाड़े भये’ से महफिल में रंगत ला दी। विनय उप्रती, नवीन पंत ने भी होली की प्रस्तुति दी। तबले पर संगत विशाल मिरासी, वीरेंद्र रावल, त्रिभुवन पाठक, विनय उप्रेती, कमल कोठारी ने दी। बसंत बल्लभ पंत, कौस्तुभानंद पंत, कैलाश सिंह, मोहन उप्रेती आदि होली के रसिक रातभर महफिल में जमे रहे।
गंगोलीहाट (पिथौरागढ़)। यहां चामुंडा रोड स्थित अन्ना संगीत प्रशिक्षण केंद्र में रातभर जमी होली की महफिल में जमी रही।
बैठक की शुरुआत वरिष्ठ संगीतकार शंकर लाल चौधरी ने राग श्याम कल्याण में माई के मंदिरवा में दीपक वारूं से की। संगीत मास्टर हरीश मिरासी ने राग काफी में ‘भव भंजन गुण गाऊं में अपने राम को रिझाऊं’ से भगवान राम की महिमा का बखान किया। प्रशिक्षण केंद्र के संचालक श्यामाचरण उप्रेती ने ‘कैसी री सरकार बनाई अंधी री माई’ की प्रस्तुति दी तो युवा कलाकार त्रिभुवन पाठक ने राग जंगला काफी में ‘ऐसे बृज के बसन से में आई री बाज’ की सुंदर प्रस्तुति दी। वरिष्ठ संगीतज्ञ आनंद बल्लभ उप्रेती ने राग श्याम कल्याण में कुमाऊंनी के आदि कवि लोकरत्न पंत गुमानी की रचना का विधि फाग रचाऊं मुरली नागिन सों, बंसिया नागिन सों की प्रस्तुति देकर महफिल में चार चांद लगा दिए।
वीरेंद्र रावल ने राग धमार में ‘चंद्रवदनि खोलो द्वार तिहारे मनमोहन ठाड़े भये’ से महफिल में रंगत ला दी। विनय उप्रती, नवीन पंत ने भी होली की प्रस्तुति दी। तबले पर संगत विशाल मिरासी, वीरेंद्र रावल, त्रिभुवन पाठक, विनय उप्रेती, कमल कोठारी ने दी। बसंत बल्लभ पंत, कौस्तुभानंद पंत, कैलाश सिंह, मोहन उप्रेती आदि होली के रसिक रातभर महफिल में जमे रहे।