पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
चंपावत। सरकार की ओर से नगर निकायों के चुनाव अप्रैल में कराए जाने संबंधी संकेत मिलते ही चंपावत की नवगठित नगरपालिका में चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने लगी है। पालिका के सभासदों के अलावा अध्यक्ष पद के दावेदार जनसंपर्क में जुटने लगे हैं। निकाय चुनाव के समय इस जिले में मुख्य लड़ाई कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच ही सिमट सकती है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर प्रभावशाली लोग निर्दलीय तौर पर भी मैदान में आ सकते हैं।
चंपावत की नवगठित पालिका के लिए नौ वार्डों का परिसीमन किया गया है। इससे पहले चंपावत को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त था और वार्डों की कुल संख्या चार थी। पालिका गठन संबंधी अधिसूचना दिसंबर 2011 में जारी हो गई थी। अब तक चूंकि निकाय चुनावों की तिथि तय नहीं हो पाई थी इस कारण दावेदारों की सक्रियता भी सामने नहीं आ पाई थी। अब सरकार ने अप्रैल में निकाय चुनाव कराने का संकेत दे दिया है। तब से राजनैतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ने लगी है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए पालिकाध्यक्ष की सीट बेहद प्रतिष्ठा की साबित होने जा रही है। दोनों ही दल किसी भी तरीके से प्रथम पालिका के अध्यक्ष पद पर काबिज होकर इतिहास कायम करना चाहते हैं। बसपा भी इस चुनाव में जोर मारने वाली है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में चंपावत सीट पर बसपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। जनता के बीच अपनी इसी पकड़ को बसपा निकाय चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। इधर, जानकारी मिली है कि कई लोग अंदरखाने सभासद पद के लिए अपनी गोट फिट करने और जनता से संपर्क में जुटने लगे हैं। कुल मिलाकर चंपावत पालिका के प्रथम चुनाव बेहद रोचक साबित होंगे। अभी हालांकि अध्यक्ष पद पर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। उम्मीद है कि मार्च तक आरक्षण की स्थिति भी साफ हो जाएगी।
चंपावत। सरकार की ओर से नगर निकायों के चुनाव अप्रैल में कराए जाने संबंधी संकेत मिलते ही चंपावत की नवगठित नगरपालिका में चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने लगी है। पालिका के सभासदों के अलावा अध्यक्ष पद के दावेदार जनसंपर्क में जुटने लगे हैं। निकाय चुनाव के समय इस जिले में मुख्य लड़ाई कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच ही सिमट सकती है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर प्रभावशाली लोग निर्दलीय तौर पर भी मैदान में आ सकते हैं।
चंपावत की नवगठित पालिका के लिए नौ वार्डों का परिसीमन किया गया है। इससे पहले चंपावत को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त था और वार्डों की कुल संख्या चार थी। पालिका गठन संबंधी अधिसूचना दिसंबर 2011 में जारी हो गई थी। अब तक चूंकि निकाय चुनावों की तिथि तय नहीं हो पाई थी इस कारण दावेदारों की सक्रियता भी सामने नहीं आ पाई थी। अब सरकार ने अप्रैल में निकाय चुनाव कराने का संकेत दे दिया है। तब से राजनैतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ने लगी है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए पालिकाध्यक्ष की सीट बेहद प्रतिष्ठा की साबित होने जा रही है। दोनों ही दल किसी भी तरीके से प्रथम पालिका के अध्यक्ष पद पर काबिज होकर इतिहास कायम करना चाहते हैं। बसपा भी इस चुनाव में जोर मारने वाली है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में चंपावत सीट पर बसपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। जनता के बीच अपनी इसी पकड़ को बसपा निकाय चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। इधर, जानकारी मिली है कि कई लोग अंदरखाने सभासद पद के लिए अपनी गोट फिट करने और जनता से संपर्क में जुटने लगे हैं। कुल मिलाकर चंपावत पालिका के प्रथम चुनाव बेहद रोचक साबित होंगे। अभी हालांकि अध्यक्ष पद पर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। उम्मीद है कि मार्च तक आरक्षण की स्थिति भी साफ हो जाएगी।