चारधामों के साथ ही हनुमान चट्टी में हनुमान मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, जिससे यहां तीर्थयात्रियों की चहल-पहल शुरू हो गई है। तीर्थयात्री हनुमान जी के दर्शन करने के बाद ही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू करते हैं। हनुमान मंदिर बदरीनाथ धाम से करीब 12 किलोमीटर पहले अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इसी स्थान पर वानरराज हनुमान ने भीम का बलशाली होने का घमंड चूर किया था।
ऋषिकेश से 285 किलोमीटर दूर हनुमान चट्टी में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी पीपलकोटी के भट्ट ब्राह्मण परिवार के जिम्मे है। शीतकाल में छह माह तक इस मंदिर के भी कपाट बंद कर दिए जाते हैं और जनवरी से अप्रैल माह तक हनुमान चट्टी बर्फ से ढका रहता है। हनुमान मंदिर के पुजारी अनसूया भट्ट और संदीप भट्ट ने बताया कि हनुमान मंदिर के दर्शन करने के बाद ही तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम के दर्शनों के लिए रवाना होते हैं। यहां मंदिर में हनुमान की स्फटिक मूर्ति भजन मुद्रा में विराजमान है।
चारधामों के साथ ही हनुमान चट्टी में हनुमान मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, जिससे यहां तीर्थयात्रियों की चहल-पहल शुरू हो गई है। तीर्थयात्री हनुमान जी के दर्शन करने के बाद ही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू करते हैं। हनुमान मंदिर बदरीनाथ धाम से करीब 12 किलोमीटर पहले अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इसी स्थान पर वानरराज हनुमान ने भीम का बलशाली होने का घमंड चूर किया था।
ऋषिकेश से 285 किलोमीटर दूर हनुमान चट्टी में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी पीपलकोटी के भट्ट ब्राह्मण परिवार के जिम्मे है। शीतकाल में छह माह तक इस मंदिर के भी कपाट बंद कर दिए जाते हैं और जनवरी से अप्रैल माह तक हनुमान चट्टी बर्फ से ढका रहता है। हनुमान मंदिर के पुजारी अनसूया भट्ट और संदीप भट्ट ने बताया कि हनुमान मंदिर के दर्शन करने के बाद ही तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम के दर्शनों के लिए रवाना होते हैं। यहां मंदिर में हनुमान की स्फटिक मूर्ति भजन मुद्रा में विराजमान है।