चतुर्थ केदार रुद्रनाथ भगवान की उत्सव डोली मंगलवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर से अपने धाम के लिए रवाना हो गई। रात्रि प्रवास के लिए डोली ल्वींठी बुग्याल पहुंच गई है। 19 मई को ब्रह्ममुहुर्त में पांच बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
शीतकाल में छह माह रुद्रनाथ जी गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में विरोजमान होते हैं और ग्रीष्मकाल में छह माह सुदूर बुग्याल क्षेत्र में स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। मंगलवार को तड़के से ही रुद्रनाथ और गोपीनाथ भगवान की विशेष पूजा हुई। सुबह नौ बजे पंच पूजा संपन्न होने के बाद सुबह 10 बजे रुद्रनाथ की डोली ने अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। इस बार रुद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी आचार्य पंडित हरीश भट्ट को मिली है। रुद्रनाथ डोली प्रस्थान के दौरान गोपीनाथ मंदिर परिसर में भारी संख्या में श्रद्घालु और तीर्थयात्री पहुंचे हुए थे। इस दौरान जय गोपीनाथ, जय रुद्रनाथ के जयकारों से गोपीनाथ की नगरी गुंजायमान हो उठी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अनसूया प्रसाद भट्ट ने बताया कि रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं। यात्राकाल में तीर्थयात्री 24 किलोमीटर की दुर्गम पैदल दूरी तय कर रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते हैं। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट, पंडित प्रयाग दत्त भट्ट, डा. अरविंद भट्ट, आचार्य महादेव प्रसाद भट्ट, शांति प्रसाद, क्रांति भट्ट भी मौजूद रहे।
पिकनिक के लिए न आएं रुद्रनाथ
रुद्रनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी हरीश भट्ट ने कहा कि रुद्रनाथ मंदिर समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर सुरम्य बुग्यालों के मध्य स्थित है। रुद्रनाथ भगवान के दर्शनों के लिए आस्थावान तीर्थयात्री 24 किमी की पैदल दूरी पार कर पहुंचते हैं, लेकिन कई घुमक्कड़ युवा पिकनिक मनाने के उद्देश्य से यहां पहुंचते हैं। कई युवा बुग्यालों में शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं। उन्होंने रुद्रनाथ व बुग्यालों की पवित्रता को बनाए रखने की अपील की। पुजारी ने वन विभाग से अपील की कि रुद्रनाथ ट्रेक पर प्रवेश करने से पहले प्रत्येक व्यक्ति की गहनता से चेकिंग की जाए। तीर्थयात्रियों को सीमित संख्या में ही रुद्रनाथ भेजा जाए।
चतुर्थ केदार रुद्रनाथ भगवान की उत्सव डोली मंगलवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर से अपने धाम के लिए रवाना हो गई। रात्रि प्रवास के लिए डोली ल्वींठी बुग्याल पहुंच गई है। 19 मई को ब्रह्ममुहुर्त में पांच बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
शीतकाल में छह माह रुद्रनाथ जी गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में विरोजमान होते हैं और ग्रीष्मकाल में छह माह सुदूर बुग्याल क्षेत्र में स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। मंगलवार को तड़के से ही रुद्रनाथ और गोपीनाथ भगवान की विशेष पूजा हुई। सुबह नौ बजे पंच पूजा संपन्न होने के बाद सुबह 10 बजे रुद्रनाथ की डोली ने अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। इस बार रुद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी आचार्य पंडित हरीश भट्ट को मिली है। रुद्रनाथ डोली प्रस्थान के दौरान गोपीनाथ मंदिर परिसर में भारी संख्या में श्रद्घालु और तीर्थयात्री पहुंचे हुए थे। इस दौरान जय गोपीनाथ, जय रुद्रनाथ के जयकारों से गोपीनाथ की नगरी गुंजायमान हो उठी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अनसूया प्रसाद भट्ट ने बताया कि रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं। यात्राकाल में तीर्थयात्री 24 किलोमीटर की दुर्गम पैदल दूरी तय कर रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते हैं। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट, पंडित प्रयाग दत्त भट्ट, डा. अरविंद भट्ट, आचार्य महादेव प्रसाद भट्ट, शांति प्रसाद, क्रांति भट्ट भी मौजूद रहे।
पिकनिक के लिए न आएं रुद्रनाथ
रुद्रनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी हरीश भट्ट ने कहा कि रुद्रनाथ मंदिर समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर सुरम्य बुग्यालों के मध्य स्थित है। रुद्रनाथ भगवान के दर्शनों के लिए आस्थावान तीर्थयात्री 24 किमी की पैदल दूरी पार कर पहुंचते हैं, लेकिन कई घुमक्कड़ युवा पिकनिक मनाने के उद्देश्य से यहां पहुंचते हैं। कई युवा बुग्यालों में शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं। उन्होंने रुद्रनाथ व बुग्यालों की पवित्रता को बनाए रखने की अपील की। पुजारी ने वन विभाग से अपील की कि रुद्रनाथ ट्रेक पर प्रवेश करने से पहले प्रत्येक व्यक्ति की गहनता से चेकिंग की जाए। तीर्थयात्रियों को सीमित संख्या में ही रुद्रनाथ भेजा जाए।