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नीती माणा घाटी कल्याण समिति की ओर से आयोजित सेमिनार में जिले के सीमांत गांवों से हो रहे पलायन पर चिंता जताई गई। पलायन रोकने और क्षेत्र के विकास के लिए स्वरोजगार के साथ बेहतर शिक्षा के अवसर तैयार करने पर जोर दिया गया। साथ ही क्षेत्र की विशेष सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने पर भी विचार-विमर्श हुआ। समिति की ओर से देहरादून में सीमांत क्षेत्र के भोटिया जनजाति और क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया। समिति के अध्यक्ष डा. यूएस रावत ने कहा कि हमारा समाज पीढ़ियों से सीमांत क्षेत्र में रहता है। आज भी हम द्वितीय पंक्ति के सिपाही हैं। विकट परिस्थिति में जीवन यापन करते हुए हम अपनी बोली भाषा और संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। सरकार को क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खासकर स्वरोजगार और शिक्षा के बेहतर अवसर तैयार करने चाहिए। शिक्षा और रोजगार के अवसर ही सीमांत क्षेत्र के गांवों से हो रहे पलायन को रोक सकते हैं। पूर्व डीजी हेल्थ डा. आईएस पाल ने कहा कि हम द्वितीय पंक्ति के सिपाही हैं, लेकिन घाटी में अपने नाम पर कोई जमीन तक नहीं है। अन्य वक्ताओं ने सीमांत क्षेत्र से हो रहे पलायन रोकने के लिए, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, अपने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने सहित कई बिंदुओं पर चर्चा की। सेमिनार में जोशीमठ के ब्लॉक प्रमुख हरीश परमार, स्वाद संस्था दिल्ली के अध्यक्ष डा. दयाल सिंह, प्रधान संघ चमोली के महासचिव पुष्कर राणा, पूर्व दर्जाधारी ठाकुर सिंह, पूर्व डीजी रामचंद्र सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य बचन सिंह, पूर्व डीएफओ लक्ष्मण सिंह रावत, समिति के संस्थापक मुरली रावत, कोषाध्यक्ष बचन सिंह और महिला उपाध्यक्ष रूबी रावत सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
नीती माणा घाटी कल्याण समिति की ओर से आयोजित सेमिनार में जिले के सीमांत गांवों से हो रहे पलायन पर चिंता जताई गई। पलायन रोकने और क्षेत्र के विकास के लिए स्वरोजगार के साथ बेहतर शिक्षा के अवसर तैयार करने पर जोर दिया गया। साथ ही क्षेत्र की विशेष सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने पर भी विचार-विमर्श हुआ।
समिति की ओर से देहरादून में सीमांत क्षेत्र के भोटिया जनजाति और क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया। समिति के अध्यक्ष डा. यूएस रावत ने कहा कि हमारा समाज पीढ़ियों से सीमांत क्षेत्र में रहता है। आज भी हम द्वितीय पंक्ति के सिपाही हैं। विकट परिस्थिति में जीवन यापन करते हुए हम अपनी बोली भाषा और संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। सरकार को क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खासकर स्वरोजगार और शिक्षा के बेहतर अवसर तैयार करने चाहिए। शिक्षा और रोजगार के अवसर ही सीमांत क्षेत्र के गांवों से हो रहे पलायन को रोक सकते हैं। पूर्व डीजी हेल्थ डा. आईएस पाल ने कहा कि हम द्वितीय पंक्ति के सिपाही हैं, लेकिन घाटी में अपने नाम पर कोई जमीन तक नहीं है। अन्य वक्ताओं ने सीमांत क्षेत्र से हो रहे पलायन रोकने के लिए, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, अपने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने सहित कई बिंदुओं पर चर्चा की। सेमिनार में जोशीमठ के ब्लॉक प्रमुख हरीश परमार, स्वाद संस्था दिल्ली के अध्यक्ष डा. दयाल सिंह, प्रधान संघ चमोली के महासचिव पुष्कर राणा, पूर्व दर्जाधारी ठाकुर सिंह, पूर्व डीजी रामचंद्र सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य बचन सिंह, पूर्व डीएफओ लक्ष्मण सिंह रावत, समिति के संस्थापक मुरली रावत, कोषाध्यक्ष बचन सिंह और महिला उपाध्यक्ष रूबी रावत सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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