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ग्लेशियरों की यात्रा शुरू होने में लगेगा समय
Bageshwar
Published by:
Updated Tue, 09 Jul 2013 05:31 AM IST
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कहीं भी, कभी भी।
बागेश्वर। दैवीय आपदा के कारण जिले में साहसिक पर्यटन को गहरा धक्का लगा है। ग्लेशियरों के पैदल रास्ते और पुल नदियों में समा गए हैं। नवंबर में फिर से यात्रा शुरू होती है, लेकिन मानसून काल तक रास्तों की मरम्मत हो पाना संभव नहीं है। अभी इन मार्गोें का सर्वे तक संभव नहीं है। 15 जून की बारिश से उच्च हिमालयी क्षेत्र फंसे सभी स्कूली बच्चों और पर्यटकों को सेना ने सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन जिले के पर्यटन व्यावसाय को गहरा धक्का लगा है। केएमवीएन के लोहारखेत आवासगृह प्रभारी इंद्र सिंह बिष्ट के अनुसार ग्लेशियरों की यात्रा पर हर साल लगभग सात हजार पर्यटक आते रहे हैं। साहसिक पर्यटन अधिकारी आरएस ऐरी ने बताया कि इस मार्ग में लोनिवि द्वारा पिंडर नदी पर बनाए गए दो बड़े और चार छोटे पैदल पुल बह जाने के कारण संपर्क भंग है। लोनिवि के अवर अभियंता संतोष कुमार का कहना है कि अभी नुकसान के आकलन को वहां पहुंच पाना संभव नहीं है। 41 किमी लंबे पिंडारी मार्ग पर 15 किमी, इसके साथ खाती से जुड़े 15 किमी लंबे सुंदरढुंगा मार्ग पर सात किमी और द्वाली से कफनी ग्लेशियर को जाने वाले 11 किमी मार्ग पर सात किमी हिस्से में नुकसान होने का अनुमान है। मरम्मत का काम बारिश के बाद ही शुरू हो सकता है। ऐसी हालत में अक्तूबर की यात्रा पूरी तरह ठप रहेगी और अगले साल की गर्मियों तक रास्तों और पुलों को ठीक करने की चुनौती बनी रहेगी।
बागेश्वर। दैवीय आपदा के कारण जिले में साहसिक पर्यटन को गहरा धक्का लगा है। ग्लेशियरों के पैदल रास्ते और पुल नदियों में समा गए हैं। नवंबर में फिर से यात्रा शुरू होती है, लेकिन मानसून काल तक रास्तों की मरम्मत हो पाना संभव नहीं है। अभी इन मार्गोें का सर्वे तक संभव नहीं है। 15 जून की बारिश से उच्च हिमालयी क्षेत्र फंसे सभी स्कूली बच्चों और पर्यटकों को सेना ने सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन जिले के पर्यटन व्यावसाय को गहरा धक्का लगा है। केएमवीएन के लोहारखेत आवासगृह प्रभारी इंद्र सिंह बिष्ट के अनुसार ग्लेशियरों की यात्रा पर हर साल लगभग सात हजार पर्यटक आते रहे हैं। साहसिक पर्यटन अधिकारी आरएस ऐरी ने बताया कि इस मार्ग में लोनिवि द्वारा पिंडर नदी पर बनाए गए दो बड़े और चार छोटे पैदल पुल बह जाने के कारण संपर्क भंग है। लोनिवि के अवर अभियंता संतोष कुमार का कहना है कि अभी नुकसान के आकलन को वहां पहुंच पाना संभव नहीं है। 41 किमी लंबे पिंडारी मार्ग पर 15 किमी, इसके साथ खाती से जुड़े 15 किमी लंबे सुंदरढुंगा मार्ग पर सात किमी और द्वाली से कफनी ग्लेशियर को जाने वाले 11 किमी मार्ग पर सात किमी हिस्से में नुकसान होने का अनुमान है। मरम्मत का काम बारिश के बाद ही शुरू हो सकता है। ऐसी हालत में अक्तूबर की यात्रा पूरी तरह ठप रहेगी और अगले साल की गर्मियों तक रास्तों और पुलों को ठीक करने की चुनौती बनी रहेगी।