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कमस्यार घाटी में सिंचाई का संकट
Bageshwar
Updated Sun, 03 Jun 2012 12:00 PM IST
कमस्यार/बागेश्वर। कपूरी-भंडारीगांव नहर चार सालों से बंद पड़ी है। जिस कारण 2 हजार नाली भूमि पर सिंचाई व्यवस्था प्रभावित है। क्षेत्र में रबी और खरीफ की फसलों का उत्पादन गिर गया है। ग्रामीणों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
क्षेत्र में कृषि विकास की संभावनाओं को देखते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. त्रिलोक सिंह डसीला के प्रयासों से 1963 में इस नहर का निर्माण हुआ था। कपूरी से भंडारीगांव तक इसकी लंबाई ढाई किमी है। जिससे महतगांव, हिनौला, भैंसखाल, ज्यूला, बगराटी और भंडारीगांव क्षेत्र में सिंचाई होती रही है। किंतु अब नहर के आधे हिस्से में भी ठीक से पानी नहीं चल रहा है। ग्रामीणों के अनुसार 2009 में भूस्खलन के कारण बगराटी के समीप नहर टूट गई और आज तक इसकी मरम्मत नहीं हुई। सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होने पर सिंचाई विभाग ने क्षतिग्रस्त हिस्से पर प्लास्टिक के पाइप जोड़ दिए। किंतु इससे भी विशेष लाभ नहीं हुआ। 2 हजार नाली भूमि पर ठीक से सिंचाई नहीं हो पा रही है। धान की रोपाई का कार्य प्रभावित है। रबी और खरीफ की फसलों का उत्पादन गिरकर आधा हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में यह भूमि समृद्धि का प्रतीक थी। किंतु वर्तमान समय में लोग संकट का सामना कर रहे हैं। इधर, कमस्या घाटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतीश उप्रेती, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष बहादुर सिंह डसीला, प्रधान संगठन के अध्यक्ष सुरेश रावत, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष कृपाल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य आनंदी देवी, पुष्पा देवी सहित तमाम ग्रामीणों ने नहर को शीघ्र दुरुस्त करने की मांग की है और आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
कमस्यार/बागेश्वर। कपूरी-भंडारीगांव नहर चार सालों से बंद पड़ी है। जिस कारण 2 हजार नाली भूमि पर सिंचाई व्यवस्था प्रभावित है। क्षेत्र में रबी और खरीफ की फसलों का उत्पादन गिर गया है। ग्रामीणों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
क्षेत्र में कृषि विकास की संभावनाओं को देखते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. त्रिलोक सिंह डसीला के प्रयासों से 1963 में इस नहर का निर्माण हुआ था। कपूरी से भंडारीगांव तक इसकी लंबाई ढाई किमी है। जिससे महतगांव, हिनौला, भैंसखाल, ज्यूला, बगराटी और भंडारीगांव क्षेत्र में सिंचाई होती रही है। किंतु अब नहर के आधे हिस्से में भी ठीक से पानी नहीं चल रहा है। ग्रामीणों के अनुसार 2009 में भूस्खलन के कारण बगराटी के समीप नहर टूट गई और आज तक इसकी मरम्मत नहीं हुई। सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होने पर सिंचाई विभाग ने क्षतिग्रस्त हिस्से पर प्लास्टिक के पाइप जोड़ दिए। किंतु इससे भी विशेष लाभ नहीं हुआ। 2 हजार नाली भूमि पर ठीक से सिंचाई नहीं हो पा रही है। धान की रोपाई का कार्य प्रभावित है। रबी और खरीफ की फसलों का उत्पादन गिरकर आधा हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में यह भूमि समृद्धि का प्रतीक थी। किंतु वर्तमान समय में लोग संकट का सामना कर रहे हैं। इधर, कमस्या घाटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतीश उप्रेती, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष बहादुर सिंह डसीला, प्रधान संगठन के अध्यक्ष सुरेश रावत, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष कृपाल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य आनंदी देवी, पुष्पा देवी सहित तमाम ग्रामीणों ने नहर को शीघ्र दुरुस्त करने की मांग की है और आंदोलन करने की चेतावनी दी है।