द्वाराहाट। दुधोली गांव की महिलाएं गत 18 बरस से दूध के उत्पादन में लगी हैं। उन्होंने अच्छी नस्ल के गाय भैंसों को पालकर दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस समय इस कारोबार से गांव की 50 महिलाएं जुड़ी हैं। गांव में रोजाना 230 से 270 लीटर तक दूध का उत्पादन हो रहा है। महिलाओं ने कहा कि यदि सरकार शराब की दुकान की जगह दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देती तो इससे न केवल आर्थिक क्रांति आती ही और पलायन पर भी काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
जानकारी के अनुसार 18 साल पहले दुग्ध उत्पादन के कारोबार से दुधोली गांव की सिर्फ दो महिलाएं ही जुड़ी थी। महिलाआें ने हॉलीस्टन, जर्सी नस्ल के अलावा स्थानीय गाय भैंसों का पालन किया। इसके अलावा बाहर से भी अनेक उन्नतशील पशुओं को लाई। महिलाओं ने अपनी मेहनत से दूध का उत्पादन बढ़ाया। दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति दुधोली से जुड़ी। समिति में हालांकि 80 महिला दुग्ध उत्पादक सदस्य हैं लेकिन दूध नियमित रूप से 50 महिलाएं ही लाती हैं। समिति की अध्यक्ष नीमा बाजनी तथा सचिव आनंद बिष्ट ने बताया कि महिलाओं को वर्ष 2007 08 में 55074 रुपये, 2008 09 में 18858 रुपये, 2009 10 में 8287 रुपये, 2010 11 में 48667 रुपये जबकि 2011 12 में 68474 रुपये का बोनस मिला है। उन्होंने कहा कि चारा, पानी तथा दवाईयों की समुचित व्यवस्था हो जाए तो उत्पादन हर साल बढ़ सकता है। उन्होंने शासन से दूध के दामों में बढ़ोत्तरी करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि महिलाएं रोजाना साढ़े पांच बजे से सात बजे तक दूध संग्रह केंद्र तक लाती हैं। यहां से उसे भगवती स्थित चिलिंग प्लांट को भेजा जाता है। महिलाओं ने कहा कि क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। सरकार को शराब की दुकानें खोलने के बजाए पशुपालन के लिए काश्तकारों को बगैर ब्याज तथा उचित सब्सिडी के अच्छे नस्ल के गाय भैंस उपलब्ध कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादक संघ अल्मोड़ा उनकी समय समय पर सहायता करता है।
द्वाराहाट। दुधोली गांव की महिलाएं गत 18 बरस से दूध के उत्पादन में लगी हैं। उन्होंने अच्छी नस्ल के गाय भैंसों को पालकर दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस समय इस कारोबार से गांव की 50 महिलाएं जुड़ी हैं। गांव में रोजाना 230 से 270 लीटर तक दूध का उत्पादन हो रहा है। महिलाओं ने कहा कि यदि सरकार शराब की दुकान की जगह दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देती तो इससे न केवल आर्थिक क्रांति आती ही और पलायन पर भी काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
जानकारी के अनुसार 18 साल पहले दुग्ध उत्पादन के कारोबार से दुधोली गांव की सिर्फ दो महिलाएं ही जुड़ी थी। महिलाआें ने हॉलीस्टन, जर्सी नस्ल के अलावा स्थानीय गाय भैंसों का पालन किया। इसके अलावा बाहर से भी अनेक उन्नतशील पशुओं को लाई। महिलाओं ने अपनी मेहनत से दूध का उत्पादन बढ़ाया। दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति दुधोली से जुड़ी। समिति में हालांकि 80 महिला दुग्ध उत्पादक सदस्य हैं लेकिन दूध नियमित रूप से 50 महिलाएं ही लाती हैं। समिति की अध्यक्ष नीमा बाजनी तथा सचिव आनंद बिष्ट ने बताया कि महिलाओं को वर्ष 2007 08 में 55074 रुपये, 2008 09 में 18858 रुपये, 2009 10 में 8287 रुपये, 2010 11 में 48667 रुपये जबकि 2011 12 में 68474 रुपये का बोनस मिला है। उन्होंने कहा कि चारा, पानी तथा दवाईयों की समुचित व्यवस्था हो जाए तो उत्पादन हर साल बढ़ सकता है। उन्होंने शासन से दूध के दामों में बढ़ोत्तरी करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि महिलाएं रोजाना साढ़े पांच बजे से सात बजे तक दूध संग्रह केंद्र तक लाती हैं। यहां से उसे भगवती स्थित चिलिंग प्लांट को भेजा जाता है। महिलाओं ने कहा कि क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। सरकार को शराब की दुकानें खोलने के बजाए पशुपालन के लिए काश्तकारों को बगैर ब्याज तथा उचित सब्सिडी के अच्छे नस्ल के गाय भैंस उपलब्ध कराने चाहिए। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादक संघ अल्मोड़ा उनकी समय समय पर सहायता करता है।