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Gyanvapi Case Shivling carban dating investigated or not order may come om 7 october in varanasi court
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की जांच होगी या नहीं? आज आ सकता है आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: उत्पल कांत
Updated Fri, 07 Oct 2022 12:03 AM IST
सार
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वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वें में सामने आए शिवलिंग की जांच होगी या नहीं, इस पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ सकता है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग है।
- फोटो : अमर उजाला
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की कार्बन डेटिंग या अन्य आधुनिक तरीके से जांच पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ सकता है। जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।
इसमें 29 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में कार्बन डेटिंग पर वादी पक्ष ही आमने-सामने आ गया था। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में चार महिला वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने मांग की है कि शिवलिंग के नीचे अरघे और आसपास की जांच कराई जाए।
'कार्बन डेटिंग से शिवलिंग के खंडित होने का अंदेशा'
उन्होंने यह भी कहा था कि यह काम शिवलिंग को छेड़छाड़ किए बिना होना चाहिए, यह चाहे कार्बन डेटिंग से हो या किसी अन्य तरीके से किया जाए। वहीं वादी राखी सिंह के अधिवक्ता ने कार्बन डेटिंग से शिवलिंग के खंडित होने का अंदेशा जताया था। जबकि मुस्लिम पक्ष ने पत्थर और लकड़ी की कार्बन डेटिंग नहीं होने का हवाला दिया था। इस मामले में बहस पूरी होने के बाद जिला जज ने सात अक्तूबर की तारीख आदेश के लिए नियत की है।
किरन सिंह और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर नहीं हुई सुनवाई
वाराणसी कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपने और शिवलिंग के राग भोग पूजा पाठ की दो अलग अलग याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई नहीं हुई। अदालत में अवकाश के चलते इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई संभव है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी व संघ की महामंत्री किरण सिंह की ओर दायर याचिका में ज्ञानवापी परिसर को मंदिर का हिस्सा बताते हुए हिंदुओं को सौंपने और वहां मिले शिवलिंग के दर्शन- पूजन की मांग की गई है। सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होनी थी। पढ़ें: ज्ञानवापी सर्वे में मिले शिवलिंग के आकार और उम्र के सर्वे पर वादियों में मतभेद
दूसरे मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन कुमदलता त्रिपाठी की अदालत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई होनी थी। इसमें उन्होंने शिवलिंग के पूजन और भोग की मांग की है। इस मामले में अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय की मांग की थी। दोनों ही मामलों में शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है।
ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की कार्बन डेंटिंग संभव नहीं
ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने मांग पर बीएचयू प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो. अशोक सिंह का दावा है कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि कार्बन डेटिंग पत्थर जैसे वस्तुओं की नहीं की जा सकती है।
प्रो. अशोक सिंह ने बताया कि कार्बन डेटिंग केवल उसी चीज की हो सकती है, जिसमें कभी भी कार्बन रहा हो। पुरातात्विक संदर्भों में मिली वस्तुओं की कार्बन डेटिंग जरूर की जाती है, लेकिन इसके लिए इसका सही प्रारूप में मिलना जरूरी होता है। शिवलिंग की जानकारी करने के लिए जीपीआर यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसमें जियोलॉजी यानी भू वैज्ञानिकों की अहम भूमिका होती है। इसके लिए लेजर बीम का इस्तेमाल होता है, जिससे जमीन के अंदर की वस्तुओं के बारे में सही जानकारी मिल सकती है। सारनाथ के पुरातात्विक सर्वेक्षण में भी इस तकनीक से कई अहम जानकारियां मिली हैं।
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