पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
वाराणसी। अस्सी घाट पर अवैध खनन से करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी तो की ही गई, घाट की सीढि़यों को रौंदकर चौपट भी कर दिया गया। सतह से तलहटी तक कई जगह गहराई तक सिल्ट निकालने से स्थिति बदतर हो गई है। पता चला है कि अब तक वहां से करोड़ों रुपये की मिट्टी जेसीबी से निकालकर बेची जा चुकी है। जांच कराई जाए तो इस मामले में कई लोगों का गला नप सकता है।
संत रविदास घाट के पास से अस्सी घाट तक लंबी एरिया में कई स्तरों पर खनन किया गया है। घाट पर ही माफिया के आदमी टेंट लगाकर दिन-रात कैंप कर रहे हैं। यानी दिन के उजाले में ही नहीं, रात को सड़कें सूनी मिलने पर और भी धड़ल्ले से सिल्ट की ढुलाई कराई जा रही है। पता चला है कि जितना आर्डर होता है उसी के हिसाब से खनन कराया जाता है। नगर निगम के भेलूपुर जोन के जोनल अधिकारी अतुल कुमार यादव का कहना है कि देव दीपावली के समय घाट की सफाई के लिए तीन लाख रुपये का ठेका जरूर दिया गया था, लेकिन वह काम पहले ही हो चुका। अवैध खनन की जानकारी जब पखवारे भर पहले मिली तभी काम रोकवा दिया गया था। सहायक नगर आयुक्त सच्चिदानंद सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने अस्सी घाट पर खनन होने से पहले साफ इंकार कर दिया लेकिन बाद में कहा कि नगर निगम बहुत बड़ी संस्था है। कहां-कहां, क्या-क्या हो रहा है, इसे एक झटके में कैसे बताया जा सकता है। खनन के लिए ठेका किस आधार पर दिया गया है? इस ठेके के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई? यह पूछने पर वो बोले कि मैं अंतरयामी तो हूं नहीं, भाई थोड़ा वक्त दीजिए, पता करके बताता हूं। पर वह भी खनन के मुद्दे पर कुछ बताने के बजाय टाल गए।
वाराणसी। अस्सी घाट पर अवैध खनन से करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी तो की ही गई, घाट की सीढि़यों को रौंदकर चौपट भी कर दिया गया। सतह से तलहटी तक कई जगह गहराई तक सिल्ट निकालने से स्थिति बदतर हो गई है। पता चला है कि अब तक वहां से करोड़ों रुपये की मिट्टी जेसीबी से निकालकर बेची जा चुकी है। जांच कराई जाए तो इस मामले में कई लोगों का गला नप सकता है।
संत रविदास घाट के पास से अस्सी घाट तक लंबी एरिया में कई स्तरों पर खनन किया गया है। घाट पर ही माफिया के आदमी टेंट लगाकर दिन-रात कैंप कर रहे हैं। यानी दिन के उजाले में ही नहीं, रात को सड़कें सूनी मिलने पर और भी धड़ल्ले से सिल्ट की ढुलाई कराई जा रही है। पता चला है कि जितना आर्डर होता है उसी के हिसाब से खनन कराया जाता है। नगर निगम के भेलूपुर जोन के जोनल अधिकारी अतुल कुमार यादव का कहना है कि देव दीपावली के समय घाट की सफाई के लिए तीन लाख रुपये का ठेका जरूर दिया गया था, लेकिन वह काम पहले ही हो चुका। अवैध खनन की जानकारी जब पखवारे भर पहले मिली तभी काम रोकवा दिया गया था। सहायक नगर आयुक्त सच्चिदानंद सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने अस्सी घाट पर खनन होने से पहले साफ इंकार कर दिया लेकिन बाद में कहा कि नगर निगम बहुत बड़ी संस्था है। कहां-कहां, क्या-क्या हो रहा है, इसे एक झटके में कैसे बताया जा सकता है। खनन के लिए ठेका किस आधार पर दिया गया है? इस ठेके के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई? यह पूछने पर वो बोले कि मैं अंतरयामी तो हूं नहीं, भाई थोड़ा वक्त दीजिए, पता करके बताता हूं। पर वह भी खनन के मुद्दे पर कुछ बताने के बजाय टाल गए।