वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में एक साल पहले स्थापित लकवा वार्ड में 62 फीसदी मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटे। अन्य रोगियों में कुछ गंभीर रूप से पीडि़त होने के कारण ठीक नहीं हो पाए तो कुछ का निधन हो गया। लकवा वार्ड के एक साल पूरा होने पर सोमवार को वार्ड में आयोजित कार्यक्रम में लकवा के बारे में मरीजाें को जानकारी दी गई।
इस दौरान आईएमएस के निदेशक प्रो. आरजी सिंह ने कहा कि लकवा से प्रभावित होने वाले मरीज को यदि तत्काल अस्पताल पहुंचाया जाए तो वह ठीक हो सकता है। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. यूएस द्विवेदी ने कहा कि लकवा से पीडि़त मरीजों के उपचार की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने न्यूरोलॉजी विभाग के कार्य की सराहना भी की। न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डा. वीएन मिश्र ने कहा कि एक साल में लकवा पीडि़त 599 मरीज भर्ती हुए। इनमें 359 रोगी पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटे। इन मरीजाें में 210 ब्रेन हैमरेज, 76 ब्रेन में खून का थक्का जमने, 33 ब्रेन की झिल्ली में संक्रमण, तीन तंत्रिका तंत्र में संक्रमण, सात रीढ़ की हड्डी में सूजन, 11 ब्रेन में कीटाणुओं के प्रकोप तथा 259 लोग अन्य कारणाें से लकवाग्रस्त हो गए थे। उन्होंने बताया वार्ड में भर्ती 599 मरीजाें में सिर्फ 50 की मौत हुई जबकि शेष की जान बचा ली गई। आयुर्वेद ओपीडी में स्थापित लकवा वार्ड में वर्तमान में दस बेड हैं जिसे बढ़ाने पर विचार चल रहा है।
वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में एक साल पहले स्थापित लकवा वार्ड में 62 फीसदी मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटे। अन्य रोगियों में कुछ गंभीर रूप से पीडि़त होने के कारण ठीक नहीं हो पाए तो कुछ का निधन हो गया। लकवा वार्ड के एक साल पूरा होने पर सोमवार को वार्ड में आयोजित कार्यक्रम में लकवा के बारे में मरीजाें को जानकारी दी गई।
इस दौरान आईएमएस के निदेशक प्रो. आरजी सिंह ने कहा कि लकवा से प्रभावित होने वाले मरीज को यदि तत्काल अस्पताल पहुंचाया जाए तो वह ठीक हो सकता है। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. यूएस द्विवेदी ने कहा कि लकवा से पीडि़त मरीजों के उपचार की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने न्यूरोलॉजी विभाग के कार्य की सराहना भी की। न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डा. वीएन मिश्र ने कहा कि एक साल में लकवा पीडि़त 599 मरीज भर्ती हुए। इनमें 359 रोगी पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटे। इन मरीजाें में 210 ब्रेन हैमरेज, 76 ब्रेन में खून का थक्का जमने, 33 ब्रेन की झिल्ली में संक्रमण, तीन तंत्रिका तंत्र में संक्रमण, सात रीढ़ की हड्डी में सूजन, 11 ब्रेन में कीटाणुओं के प्रकोप तथा 259 लोग अन्य कारणाें से लकवाग्रस्त हो गए थे। उन्होंने बताया वार्ड में भर्ती 599 मरीजाें में सिर्फ 50 की मौत हुई जबकि शेष की जान बचा ली गई। आयुर्वेद ओपीडी में स्थापित लकवा वार्ड में वर्तमान में दस बेड हैं जिसे बढ़ाने पर विचार चल रहा है।