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वाराणसी। रविवार की शाम तुलसी घाट स्थित समारोह स्थल पर भारतरत्न पं. रविशंकर की सांगीतिक कृतियों का प्रदर्शन कर उनका स्मरण किया गया। कला प्रकाश की ओर से सजाई की संगीत की महफिल में देश के स्वनामधन्य कलाकारों ने हिस्सा लिया। प्रस्तुति में चार कलाकार शामिल थे और चारों कलाकारों ने पं. रविशंकर द्वारा तैयार बंदिशों, रागों और धुनों का प्रदर्शन किया।
समारोह का मुख्य आकर्षण भट्टाचार्य दंपति रहे। ओडिसी नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य और उनके प्रति संतूरवादक पं. तरुण भट्टाचार्य ने विशेष प्रस्तुतियों के माध्यम से सितार के परमगुरु को याद किया। संचिता भट्टाचार्य ने नृत्य की शुरुआत पं. रविशंकर द्वारा निर्मित धुन पर गणेश वंदना एवं गुरु वंदना प्रस्तुत की। पंडित जी के प्रिय राग रागेश्री पर विशुद्ध ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन किया। पं. रविशंकर की परिकल्पना संगीत की घुंघरुओं से मुलाकात के अंतर्गत श्रीकृष्ण-यशोदा पर आधारित प्रसंग की मोहक प्रस्तुति की। मैहर घराने के पं. तरुण भट्टाचार्य राग चारुकेशी में आलाप जोड़ और इसके बाद झप ताल और तीन लात में धुन बजाई। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मिताली भौमिक ने राग मुलतानी में बड़ा खयाल विलंबित एक ताल एवं छोटा खयाल तीन ताल में निबद्ध रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने पं. रविशंकर की कृति हे नाथ हमपर कृपा कीजिए सुनाकर कार्यक्रम को विराम दिया। समारोह की अंतिम प्रस्तुति लेकर समरेश चौधरी मंचासीन हुए। उन्होंने राग जोगकाैंस में विलंबित एक ताल में धन्य धन्य भाग जागे आज... राग जोगकौंस में ही तीन ताल में भजराम में दिन रैन से श्रोताओं को आनंदित किया।
वाराणसी। रविवार की शाम तुलसी घाट स्थित समारोह स्थल पर भारतरत्न पं. रविशंकर की सांगीतिक कृतियों का प्रदर्शन कर उनका स्मरण किया गया। कला प्रकाश की ओर से सजाई की संगीत की महफिल में देश के स्वनामधन्य कलाकारों ने हिस्सा लिया। प्रस्तुति में चार कलाकार शामिल थे और चारों कलाकारों ने पं. रविशंकर द्वारा तैयार बंदिशों, रागों और धुनों का प्रदर्शन किया।
समारोह का मुख्य आकर्षण भट्टाचार्य दंपति रहे। ओडिसी नृत्यांगना संचिता भट्टाचार्य और उनके प्रति संतूरवादक पं. तरुण भट्टाचार्य ने विशेष प्रस्तुतियों के माध्यम से सितार के परमगुरु को याद किया। संचिता भट्टाचार्य ने नृत्य की शुरुआत पं. रविशंकर द्वारा निर्मित धुन पर गणेश वंदना एवं गुरु वंदना प्रस्तुत की। पंडित जी के प्रिय राग रागेश्री पर विशुद्ध ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन किया। पं. रविशंकर की परिकल्पना संगीत की घुंघरुओं से मुलाकात के अंतर्गत श्रीकृष्ण-यशोदा पर आधारित प्रसंग की मोहक प्रस्तुति की। मैहर घराने के पं. तरुण भट्टाचार्य राग चारुकेशी में आलाप जोड़ और इसके बाद झप ताल और तीन लात में धुन बजाई। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मिताली भौमिक ने राग मुलतानी में बड़ा खयाल विलंबित एक ताल एवं छोटा खयाल तीन ताल में निबद्ध रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने पं. रविशंकर की कृति हे नाथ हमपर कृपा कीजिए सुनाकर कार्यक्रम को विराम दिया। समारोह की अंतिम प्रस्तुति लेकर समरेश चौधरी मंचासीन हुए। उन्होंने राग जोगकाैंस में विलंबित एक ताल में धन्य धन्य भाग जागे आज... राग जोगकौंस में ही तीन ताल में भजराम में दिन रैन से श्रोताओं को आनंदित किया।