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वाराणसी। बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग से 1988 में सेवानिवृत्त प्रो. केसी चुनेकर को जब पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने जाने की जानकारी मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गृह मंत्रालय से शुक्रवार को सुबह आए फोन पर जब पूछा गया कि यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे अथवा नहीं, तो वह बोले कि इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा। भारतीय वनस्पतियों को पेटेंट कराने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले प्रो.चुनेेकर को सरकार की तरफ से मिलने वाला यह पहला पुरस्कार है। प्रो. चुनेकर ने उच्च शिक्षा की पूरी पढ़ाई बीएचयू से की और यहीं से सेवानिवृत्त हुए।
उधर, बीएचयू के आईएमएस की डीन और निदेशक का पद संभाल चुकीं प्रो. सीएस गोपाल चूणामणि को पद्मश्री के लिए चुने जाने की सूचना अमर उजाला से मिली। उनका कहना था कि पिता रामचरण चूणामणि जीवित होते तो बहुत खुश होते। जिस समय उन्होंने शिक्षा दिलाकर इस पुरस्कार के लिए काबिल बनाने की शुरुआत की तब लड़कियाें को पढ़ाने में बहुत रुकावटें थीं। आगरा मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने के बाद 1966 में बेस्ट फीमेल स्टूडेंट का प्रेसीडेंट आफ इंडिया से अवार्ड प्राप्त कर चुकीं प्रो. चूणामणि जनरल सर्जरी में एमएस करने वाली पहली महिला चिकित्सक हैं। इसके बाद उन्हें बीएचयू में पीडियाट्रिक सर्जरी में हेड और फिर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में भी सेवा का अवसर मिला। फिलहाल वह वाराणसी में ही एमरिटस प्रोफेसर के रूप में बच्चों को पढ़ा रही हैं। उनके अब तक 139 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
वाराणसी। बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग से 1988 में सेवानिवृत्त प्रो. केसी चुनेकर को जब पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने जाने की जानकारी मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गृह मंत्रालय से शुक्रवार को सुबह आए फोन पर जब पूछा गया कि यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे अथवा नहीं, तो वह बोले कि इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा। भारतीय वनस्पतियों को पेटेंट कराने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले प्रो.चुनेेकर को सरकार की तरफ से मिलने वाला यह पहला पुरस्कार है। प्रो. चुनेकर ने उच्च शिक्षा की पूरी पढ़ाई बीएचयू से की और यहीं से सेवानिवृत्त हुए।
उधर, बीएचयू के आईएमएस की डीन और निदेशक का पद संभाल चुकीं प्रो. सीएस गोपाल चूणामणि को पद्मश्री के लिए चुने जाने की सूचना अमर उजाला से मिली। उनका कहना था कि पिता रामचरण चूणामणि जीवित होते तो बहुत खुश होते। जिस समय उन्होंने शिक्षा दिलाकर इस पुरस्कार के लिए काबिल बनाने की शुरुआत की तब लड़कियाें को पढ़ाने में बहुत रुकावटें थीं। आगरा मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने के बाद 1966 में बेस्ट फीमेल स्टूडेंट का प्रेसीडेंट आफ इंडिया से अवार्ड प्राप्त कर चुकीं प्रो. चूणामणि जनरल सर्जरी में एमएस करने वाली पहली महिला चिकित्सक हैं। इसके बाद उन्हें बीएचयू में पीडियाट्रिक सर्जरी में हेड और फिर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में भी सेवा का अवसर मिला। फिलहाल वह वाराणसी में ही एमरिटस प्रोफेसर के रूप में बच्चों को पढ़ा रही हैं। उनके अब तक 139 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।