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वाराणसी। संयुक्त परिवार के विघटन से महिलाओं की स्थिति बिगड़ी है। एकाकी परिवार में होने के कारण उनको तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात प्रतापगढ़ की सांसद एवं संसद की महिला सशक्तीकरण स्थाई समिति की चेयरमैन राजकुमारी रत्ना सिंह ने कहीं। वह शुक्रवार को यूपी कालेज में शिक्षक संघ एवं महिला प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं।
वर्तमान परिवेश में महिलाओं की भूमिका विषय पर उन्होंने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने बेटियों को वारिस बनाने की पहल की थी। जब तक महिलाओं के पास आर्थिक हक नहीं होगा, उनकी स्थिति नहीं सुधरेगी। महिलाएं सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्व के साथ अन्य जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाती हैं। सुनीता विलियम महिलाओं की उच्चतम प्रतिनिधियों में हैं। आज अंग्रेजी, कंप्यूटर जैसे तकनीकी ज्ञान और टूर-ट्रेवेल, मैनेजमेंट एवं सेल्स जैसे क्षेत्रों में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए। मनरेगा ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। कानून बन जाने से ही काम नहीं चलेगा। समाज को भी बदलना होगा।
विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. किरन बर्मन ने कहा कि महिलाओं के कई वर्ग हैं। उनमें सबसे ज्यादा परेशानी गरीबी रेखा के नीचे जीने वाली महिलाओं के साथ है। वैश्वीकरण के चलते बाजार फैलने से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य डा. गुलाब सिंह, संचालन शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. मनीष सिंह ने किया। महामंत्री डा. आलोक सिंह, उपाध्यक्ष डा. नीलिमा सिंह, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डा. गरिमा सिंह, छात्रा अंकिता और छवि ने विचार व्यक्त किए।
वाराणसी। संयुक्त परिवार के विघटन से महिलाओं की स्थिति बिगड़ी है। एकाकी परिवार में होने के कारण उनको तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात प्रतापगढ़ की सांसद एवं संसद की महिला सशक्तीकरण स्थाई समिति की चेयरमैन राजकुमारी रत्ना सिंह ने कहीं। वह शुक्रवार को यूपी कालेज में शिक्षक संघ एवं महिला प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं।
वर्तमान परिवेश में महिलाओं की भूमिका विषय पर उन्होंने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने बेटियों को वारिस बनाने की पहल की थी। जब तक महिलाओं के पास आर्थिक हक नहीं होगा, उनकी स्थिति नहीं सुधरेगी। महिलाएं सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्व के साथ अन्य जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाती हैं। सुनीता विलियम महिलाओं की उच्चतम प्रतिनिधियों में हैं। आज अंग्रेजी, कंप्यूटर जैसे तकनीकी ज्ञान और टूर-ट्रेवेल, मैनेजमेंट एवं सेल्स जैसे क्षेत्रों में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए। मनरेगा ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। कानून बन जाने से ही काम नहीं चलेगा। समाज को भी बदलना होगा।
विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. किरन बर्मन ने कहा कि महिलाओं के कई वर्ग हैं। उनमें सबसे ज्यादा परेशानी गरीबी रेखा के नीचे जीने वाली महिलाओं के साथ है। वैश्वीकरण के चलते बाजार फैलने से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य डा. गुलाब सिंह, संचालन शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. मनीष सिंह ने किया। महामंत्री डा. आलोक सिंह, उपाध्यक्ष डा. नीलिमा सिंह, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डा. गरिमा सिंह, छात्रा अंकिता और छवि ने विचार व्यक्त किए।