वाराणसी। छावनी में एक पखवारे पूर्व प्री नर्सरी स्कूल खेला गया था। मुफ्त शिक्षा की घोषणा की गई थी। चंद दिनों में ही यह आदेश हवाहवाई हो गया। अब 30 रुपये महीना फीस लेने की बात कही गई है। यह निर्णय सोमवार को छावनी परिषद की बैठक में लिया गया। बैठक में 42 बिंदुओं पर चर्चा की गई। वित्तीय वर्ष का बजट भी तय किया गया।
छावनी परिषद सदर बाजार की सफाई पर प्रत्येक महीने एक लाख 55 हजार रुपये खर्च करता है। बैठक में मौजूद परिषद के सदस्य धर्मेंद्र का कहना था कि सफाई का ठेका निजी कंपनी को नहीं दिया जाना चाहिए। छावनी के लोगों से यह काम लिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने छावनी स्थित एक बंगले को गिराने का आदेश 1972 में दिया था। छावनी की बैठक यह मामला उठा और इसेे गैर कानूनी बताते हुए फिर गिराने का फैसला किया गया। हालांकि छावनी परिषद के उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने इस पर आपत्ति जताई है। छावनी परिषद के अधिशासी अधिकारी आरएच अवस्थी का कहना है कि स्कूल को बनवाने में 10 लाख रुपये का खर्च आया है। ड्रेस और किताबें भी छावनी दे रहा है। सभी सदस्यों का मत था कि फीस ली जानी चाहिए।
वाराणसी। छावनी में एक पखवारे पूर्व प्री नर्सरी स्कूल खेला गया था। मुफ्त शिक्षा की घोषणा की गई थी। चंद दिनों में ही यह आदेश हवाहवाई हो गया। अब 30 रुपये महीना फीस लेने की बात कही गई है। यह निर्णय सोमवार को छावनी परिषद की बैठक में लिया गया। बैठक में 42 बिंदुओं पर चर्चा की गई। वित्तीय वर्ष का बजट भी तय किया गया।
छावनी परिषद सदर बाजार की सफाई पर प्रत्येक महीने एक लाख 55 हजार रुपये खर्च करता है। बैठक में मौजूद परिषद के सदस्य धर्मेंद्र का कहना था कि सफाई का ठेका निजी कंपनी को नहीं दिया जाना चाहिए। छावनी के लोगों से यह काम लिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने छावनी स्थित एक बंगले को गिराने का आदेश 1972 में दिया था। छावनी की बैठक यह मामला उठा और इसेे गैर कानूनी बताते हुए फिर गिराने का फैसला किया गया। हालांकि छावनी परिषद के उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने इस पर आपत्ति जताई है। छावनी परिषद के अधिशासी अधिकारी आरएच अवस्थी का कहना है कि स्कूल को बनवाने में 10 लाख रुपये का खर्च आया है। ड्रेस और किताबें भी छावनी दे रहा है। सभी सदस्यों का मत था कि फीस ली जानी चाहिए।