वाराणसी। कैंट स्टेशन को उड़ाने की धमकी के बाद भी शुक्रवार को न तो रेलवे प्रशासन चौकन्ना दिखा और न ही पुलिस। जीआरपी थाना प्रभारी भले ही यह दावा करें कि स्टेशन की सुरक्षा चौक-चौबंद थी, लेकिन प्रवेश द्वार पर लगा मेटल डिटेक्टर तक हटा दिया गया था। न एंबुलेंस दिखी और न ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी। यात्रियों की आवाजाही रोज की तरह थी। हां, यह जरूर है कि स्टेशन के जिस स्थान पर पहले बम विस्फोट हुआ था, वहां पीएसी के कुछ जवान बैठे नजर आए। एक्का-दुक्का ट्रेनों की जांच कराई गई और कुछ यात्रियों से पूछताछ कर पुलिस लौट गई।
बता दें कि मुरादाबाद में एक उच्चाधिकारी को पत्र भेजकर आतंकी संगठन ने 15 जून को कैंट स्टेशन उड़ाने की धमकी दी थी। इसी के मद्देनजर गुरुवार को स्टेशन पर मॉक ड्रिल कर सुरक्षा तैयारियों को परखा गया था। इस बीच शुक्रवार का वह दिन भी आ गया जिस दिन धमाके की धमकी दी गई थी। ऐसे में लगा कि कैंट स्टेशन पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम होंगे, पर ऐसा दिखा नहीं। प्रवेश द्वार पर लगा मेटल डिडेक्टर हटा दिया गया था। कैंट स्टेशन यात्री हाल में जहां बम विस्फोट हुआ था वहां साढ़े 11 बजे तक पीएसी के छह जवान बैठे थे और लोग बिना रोक-टोक के आ-जा रहे थे। दोपहर एक बजे स्थानीय थाने से जीप में सवार कुछ पुलिसजन पहुंचे। उन्होंने यात्री हाल में कुछ लोगों पूछताछ की और सामानों की जांच की पर कुछ देर बाद ही वे चले गए। दोपहर ढाई बजे तक न तो किसी प्लेटफार्म पर और न ही किसी ट्रेन की जांच होती दिखी।
जीआरपी थाना प्रभारी त्रिपुरारी पांडेय और आरपीएफ प्रभारी कमलेश्वर सिंह का दावा था कि स्टेशन पर पूरे दिन चौकसी रखी गई। कुछ जवानों को सादे ड्रेस में प्लेटफार्म, ओवरब्रिज, यात्री हाल, वाहन स्टैंड पर निगरानी के लिए लगाया गया था। सुबह जांच अभियान भी चलाया गया। शाम को मरुधर, शिवगंगा आदि ट्रेनों की जांच कराई गई। मेटल डिटेक्टर की बाबत उनका कहना था कि खराब हो जाने से उसे हटा दिया गया है। तीन-चार दिन में मरम्मत के बाद फिर लगा दिया जाएगा। दूसरी तरफ यात्री दिनेश का कहना था कि कृषक एक्सप्रेस से मुझे लखनऊ जाना था। जैसा अखबारों में पड़ा था, उस हिसाब से तो यहां सिक्योरिटी बहुत अधिक होनी चाहिए थी, लेकिन यहां आम दिनों जैसा ही रहा। जौनपुर से महानगरी पकड़ने आए ज्ञानचंद का कहना था कि आतंकी धमकी का असर स्टेशन पर नहीं दिखा।
वाराणसी। कैंट स्टेशन को उड़ाने की धमकी के बाद भी शुक्रवार को न तो रेलवे प्रशासन चौकन्ना दिखा और न ही पुलिस। जीआरपी थाना प्रभारी भले ही यह दावा करें कि स्टेशन की सुरक्षा चौक-चौबंद थी, लेकिन प्रवेश द्वार पर लगा मेटल डिटेक्टर तक हटा दिया गया था। न एंबुलेंस दिखी और न ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी। यात्रियों की आवाजाही रोज की तरह थी। हां, यह जरूर है कि स्टेशन के जिस स्थान पर पहले बम विस्फोट हुआ था, वहां पीएसी के कुछ जवान बैठे नजर आए। एक्का-दुक्का ट्रेनों की जांच कराई गई और कुछ यात्रियों से पूछताछ कर पुलिस लौट गई।
बता दें कि मुरादाबाद में एक उच्चाधिकारी को पत्र भेजकर आतंकी संगठन ने 15 जून को कैंट स्टेशन उड़ाने की धमकी दी थी। इसी के मद्देनजर गुरुवार को स्टेशन पर मॉक ड्रिल कर सुरक्षा तैयारियों को परखा गया था। इस बीच शुक्रवार का वह दिन भी आ गया जिस दिन धमाके की धमकी दी गई थी। ऐसे में लगा कि कैंट स्टेशन पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम होंगे, पर ऐसा दिखा नहीं। प्रवेश द्वार पर लगा मेटल डिडेक्टर हटा दिया गया था। कैंट स्टेशन यात्री हाल में जहां बम विस्फोट हुआ था वहां साढ़े 11 बजे तक पीएसी के छह जवान बैठे थे और लोग बिना रोक-टोक के आ-जा रहे थे। दोपहर एक बजे स्थानीय थाने से जीप में सवार कुछ पुलिसजन पहुंचे। उन्होंने यात्री हाल में कुछ लोगों पूछताछ की और सामानों की जांच की पर कुछ देर बाद ही वे चले गए। दोपहर ढाई बजे तक न तो किसी प्लेटफार्म पर और न ही किसी ट्रेन की जांच होती दिखी।
जीआरपी थाना प्रभारी त्रिपुरारी पांडेय और आरपीएफ प्रभारी कमलेश्वर सिंह का दावा था कि स्टेशन पर पूरे दिन चौकसी रखी गई। कुछ जवानों को सादे ड्रेस में प्लेटफार्म, ओवरब्रिज, यात्री हाल, वाहन स्टैंड पर निगरानी के लिए लगाया गया था। सुबह जांच अभियान भी चलाया गया। शाम को मरुधर, शिवगंगा आदि ट्रेनों की जांच कराई गई। मेटल डिटेक्टर की बाबत उनका कहना था कि खराब हो जाने से उसे हटा दिया गया है। तीन-चार दिन में मरम्मत के बाद फिर लगा दिया जाएगा। दूसरी तरफ यात्री दिनेश का कहना था कि कृषक एक्सप्रेस से मुझे लखनऊ जाना था। जैसा अखबारों में पड़ा था, उस हिसाब से तो यहां सिक्योरिटी बहुत अधिक होनी चाहिए थी, लेकिन यहां आम दिनों जैसा ही रहा। जौनपुर से महानगरी पकड़ने आए ज्ञानचंद का कहना था कि आतंकी धमकी का असर स्टेशन पर नहीं दिखा।