{"_id":"65149","slug":"Varanasi-65149-140","type":"story","status":"publish","title_hn":"जुकरबर्ग के अड्डे पर महिलाओं की अड़ीबाजी ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
वाराणसी। मार्क जुकरबर्ग के अड्डे पर महिलाओं की अड़ी लग रही है। कभी घरेलू महिलाएं दोपहर में डेली सोप देखती थीं। पास पड़ोस की सहेलियों के साथ मिलकर किटी पार्टी करती थीं। आजकल कालेज के जमाने की सहेलियों से दिल का हाल बयां करती हैं। उनके बीच आपसी दूरी के कोई मायने नहीं रह गए हैं। मुंबई, दिल्ली, बनारस, कोलकाता ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठी सहेलियों को उन्होंने खोज निकाला और उनसे दिल की बातें करती हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रियदर्शिनी और सरोजिनी नायडू छात्रावास में नब्बे के दशक में रात-दिन संग गुजारने वाली सहेलियां एक-एक कर बिछड़ गईं। लगभग डेढ़ दशक बाद उन्होंने इतनी बड़ी दुनिया में सबको खोज निकाला। मुंबई की बीनू सिंह, दिल्ली की कविता, बनारस से रंजू सब एक दूसरे के साथ जुड़ गई हैं। विश्वविद्यालय के दिनों में पढ़ते-पढ़ते रात को नींद सताने लगती थी तो दूसरे के दरवाजे पर दस्तक देकर चुहलबाजी की जाती थी। वही बातें जिंदगी में फिर से लौट आई हैं। अबकी यह सब वास्तविक नहीं बल्कि वर्चुअल दुनिया में हो रहा है। इसके लिए अपने कमरे से निकल कर दूसरे के दरवाजे पर दस्तक देने की जरूरत नहीं है। केवल एक क्लिक से खुलने वाली खिड़की ही बतियाने के लिए काफी है।
भले ही फेसबुक का शेयर लगातार गिर रहा हो और मार्क जुकरबर्ग के पसीने छूट रहे हों लेकिन कालेज से बिछड़ने के बाद घरेलू दुनिया के जंजाल में उलझ अपनी जिंदगी भूल जाने वाली महिलाओं में उसकी दखलंदाजी लगातार बढ़ रही है। अब उनकी अड़ी दोपहर और रात में फुरसत के क्षणों में इसी अड्डे पर जमती है। बच्चे बड़े हो गए और पति कामकाज में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में सहेलियां ही हैं जो दिल का हाल प्यार से सुनती और सुनाती हैं। जिंदगी को खुशनुमा बनाने के तरीके एक दूसरे को सुझाती रहती हैं। बनारस की सुमन रात 12 बजे के बाद तक सभी दोस्तों-मित्रों से बतियाती रहती हैं। जब पलकों पर नींद का झोंका आने लगता है तो लाग आफ करती हैं। नेवादा की गृहणी नीलू श्रीवास्तव ने बताया उनके घर में लैपटाप और डेस्कटाप दोनों हैं। फेसबुक के जरिए पुरानी सहेलियां मिल गईं। फुरसत के क्षणों में उनसे अक्सर बातचीत होती रहती है। ककरमत्ता की विश्वनाथपुरी कालोनी की नलिनी फेसबुक को धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि वह मायके के सुनहरे दिनों की यादों की सैर करा देता है।
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