वाराणसी। भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यपालक निदेशक जी. पद्मानाभन ने कहा कि देश का निर्यात बढ़ाने के लिए आरबीआई दृढ़ संकल्पित है। देश के महत्वपूर्ण शहरों में सेमिनार आयोजित कर निर्यातकों की समस्याएं जानने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन्हें निर्यात बढ़ाने, गुणवत्ता बनाए रखने और टेक्नालाजी बढ़ाने की सलाह दी। निर्यातकों से कहा कि निर्यात के लिए नए क्षेत्र खोजें। कैंटोमेंट क्षेत्र में स्थित एक होटल में मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (फेमा) पर आयोजित कार्यशाला में संबोधन करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसके परिणाम जल्द सामने आएंगे। महंगाई को लेकर आरबीआई काफी चिंतित है। ब्याज दरों में बराबर कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले निर्यात में लगभग 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। वर्ष 2010-11 में लगभग 251 बिलियन डालर का निर्यात हुआ था। इस साल (वर्ष 2011-12) लगभग 304 बिलियन डालर का निर्यात हुआ है। बैंकों को पादर्शिता बरतने और आरबीआई की गाइड लाइन का पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस मौके पर क्षेत्रीय निदेशक केआर दास मौजूद थे।
निर्यातकों ने उठाई मांग, बैंकों की मनमानी पर लगे रोक
वाराणसी। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (फेमा) पर आयोजित कार्यशाला में आरबीआई के कार्यपालक निदेशक जी. पद्मानाभन से निर्यातकों ने बैंकों की मनमानी पर रोक लगाने का आग्रह किया। कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों के साथ बैंक सहयोगात्मक रुख अपनाए। अधिक चार्जेज को कम किया जाए। बैंकों द्वारा निर्यातकों को भुगतान की जाने वाली नुकसान राशि दस फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया जाए। निर्यात कागजात प्रस्तुत करने के लिए 21 दिन की निर्धारित अवधि को बढ़ाकर 45 दिन किया जाए। छोटे निर्यातकों को क्रेडिट कार्ड, पे पाल, वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से मिले पेमेंट को वैधता दी जाए। पूर्वांचल निर्यातक संघ के अध्यक्ष नवीन कपूर और कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने आरबीआई के कार्यपालक निदेशक को मांग पत्र सौंपा और निर्यातकों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। कार्यशाला में आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक केआर दास, डीजीएम कानपुर अनूप कुमार, डीजीएम एस मंडल समेत अन्य अधिकारी, निर्यातक राजीव अग्रवाल, ओंकार मिश्र, एसबीआई के डीजीएम पीके अग्रवाल, बॉब के एजीएम एस महाजन समेत अन्य बैंकों के अधिकारी मौजूद थे।
अब उधार नहीं बिकेगी कालीन
वाराणसी। सरकार ने विदेशों में उधार कालीन बेचने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। क्योंकि निर्यातकों का विदेश में अरबों रुपये उधारी में फंस गए हैं। बिना बैंक, निर्यात ऋण गारंटी परिषद की गारंटी के माल उधार में विदेश नहीं जाएगा। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि इससे निर्यातकों को काफी लाभ होगा। विदेशों में एक हजार करोड़ से अधिक रुपये कालीन और कई हजार करोड़ रुपये हैंडीक्राफ्ट के फंसे हुए हैं। परिषद ने उधारी माल बेचने पर रोक लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया था।
वाराणसी। भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यपालक निदेशक जी. पद्मानाभन ने कहा कि देश का निर्यात बढ़ाने के लिए आरबीआई दृढ़ संकल्पित है। देश के महत्वपूर्ण शहरों में सेमिनार आयोजित कर निर्यातकों की समस्याएं जानने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन्हें निर्यात बढ़ाने, गुणवत्ता बनाए रखने और टेक्नालाजी बढ़ाने की सलाह दी। निर्यातकों से कहा कि निर्यात के लिए नए क्षेत्र खोजें। कैंटोमेंट क्षेत्र में स्थित एक होटल में मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (फेमा) पर आयोजित कार्यशाला में संबोधन करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसके परिणाम जल्द सामने आएंगे। महंगाई को लेकर आरबीआई काफी चिंतित है। ब्याज दरों में बराबर कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले निर्यात में लगभग 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। वर्ष 2010-11 में लगभग 251 बिलियन डालर का निर्यात हुआ था। इस साल (वर्ष 2011-12) लगभग 304 बिलियन डालर का निर्यात हुआ है। बैंकों को पादर्शिता बरतने और आरबीआई की गाइड लाइन का पालन करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस मौके पर क्षेत्रीय निदेशक केआर दास मौजूद थे।
निर्यातकों ने उठाई मांग, बैंकों की मनमानी पर लगे रोक
वाराणसी। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (फेमा) पर आयोजित कार्यशाला में आरबीआई के कार्यपालक निदेशक जी. पद्मानाभन से निर्यातकों ने बैंकों की मनमानी पर रोक लगाने का आग्रह किया। कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों के साथ बैंक सहयोगात्मक रुख अपनाए। अधिक चार्जेज को कम किया जाए। बैंकों द्वारा निर्यातकों को भुगतान की जाने वाली नुकसान राशि दस फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया जाए। निर्यात कागजात प्रस्तुत करने के लिए 21 दिन की निर्धारित अवधि को बढ़ाकर 45 दिन किया जाए। छोटे निर्यातकों को क्रेडिट कार्ड, पे पाल, वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से मिले पेमेंट को वैधता दी जाए। पूर्वांचल निर्यातक संघ के अध्यक्ष नवीन कपूर और कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने आरबीआई के कार्यपालक निदेशक को मांग पत्र सौंपा और निर्यातकों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। कार्यशाला में आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक केआर दास, डीजीएम कानपुर अनूप कुमार, डीजीएम एस मंडल समेत अन्य अधिकारी, निर्यातक राजीव अग्रवाल, ओंकार मिश्र, एसबीआई के डीजीएम पीके अग्रवाल, बॉब के एजीएम एस महाजन समेत अन्य बैंकों के अधिकारी मौजूद थे।
अब उधार नहीं बिकेगी कालीन
वाराणसी। सरकार ने विदेशों में उधार कालीन बेचने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। क्योंकि निर्यातकों का विदेश में अरबों रुपये उधारी में फंस गए हैं। बिना बैंक, निर्यात ऋण गारंटी परिषद की गारंटी के माल उधार में विदेश नहीं जाएगा। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि इससे निर्यातकों को काफी लाभ होगा। विदेशों में एक हजार करोड़ से अधिक रुपये कालीन और कई हजार करोड़ रुपये हैंडीक्राफ्ट के फंसे हुए हैं। परिषद ने उधारी माल बेचने पर रोक लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया था।