वाराणसी। बिहार के आरा में मारे गए रणवीर सेना के अगुवा ब्रह्मेश्वर मुखिया ने बनारस के सामने घाट स्थित एक मठ में साधु वेश में सात साल गुजारे थे। हालांकि उस दौरान भनक लगने पर पुलिस ने मठ में छापा मारा था, लेकिन वह इसके पहले ही वहां से चले गए थे। उन्होंने स्वयं इसका खुलासा 2002 में अपनी गिरफ्तारी के बाद किया था।
नब्बे के दशक में जब बिहार जातीय संघर्ष में जल रहा था तो भोजपुर जिले के सहार थाना क्षेत्र में 1996 में हुए बथानी टोला नरसंहार के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया सुर्खियाें में आए थे। बिहार के भोजपुर, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया और अरवल जिलाें में एमसीसी का वर्चस्व कम करने के लिए मुखिया ने रणवीर सेना की गतिविधियां तेज कर दी थीं। इसके बाद पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए वह उसी साल बनारस आ गए और सामनेघाट स्थित एक मठ में रणवीर सेना के कार्यकर्ताआें के साथ साधु वेश में रणनीति बनाने लगे। भोजपुर जिले में रणवीर सेना और एमसीसी के बीच हुई कई मुठभेड़ों के बाद वे रातोंरात बनारस स्थित मठ में चले आते थे। यही नहीं, 11 जुलाई 1996 में जब भोजपुर के बथानी टोला में 24 लोगों की सामूहिक हत्या की गई थी तब भी उनका ठिकाना बनारस में ही था। हालांकि जनवरी 1999 में बिहार पुलिस ने मठ में छापेमारी की, लेकिन इससे पूर्व सूचना मिल जाने के कारण ब्रह्मेश्वर भाग निकले थे। इसके बाद उन्होंने भोजपुर और जहानाबाद के गांवाें में अपना ठिकाना बनाया था। 2002 में जब उनकी गिरफ्तारी हुई तो उनके समर्थक भी मठ छोड़ चले गए।