वाराणसी। अर्दली बाजार स्थित बरनवाल मेडिकल के अधिष्ठाता बालचंद्र बरनवाल ने फांसी लगा कर जान दे दी। सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने परिवार के लिए सब कुछ किया लेकिन अब उन्हें कोई पानी देने वाला नहीं है। किराएदार दारोगा को अंतिम संस्कार करने को लिखा है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बालचंद्र गठिया रोग से परेशान थे।
बरनवाल मेडिकल स्टोर के अधिष्ठाता बालचंद्र बरनवाल (75) के तीन बेटे हैं। प्रवीण और नवीन बरनवाल अर्दली बाजार में रहते हैं जबकि बालचंद्र छोटे बेटे अनुभव के साथ महावीर मंदिर रोड पर रहते थे। अनुभव का अपना निजी व्यवसाय है। अनुभव की पत्नी बच्चों संग अपने मायके गई हुई है। व्यवसाय के काम से वह गुरुवार को सोनभद्र गया था। रात करीब दो बजे वह घर लौटा। तीन मंजिले मकान में सबसे ऊपरी मंजिल पर बालचंद्र रहते थे जबकि नीचे की मंजिल पर अनुभव का परिवार रहता था। अनुभव घर की चाभी पिता बालचंद्र को देकर गया था। रात में वह पिता के कमरे का दरवाजा काफी देर तक खटखटाता रहा लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई। खिड़की से झांक कर देखा तो पिता फंदे से झूल रहे थे। उन्होंने चौकी पर टेबल रखकर पंखे के सहारे फांसी लगाई थी। टेबल बाद में गिरा दिया गया था। नायलान की रस्सी छोटी पड़ने पर उसमें गमछा बांधा गया था। अनुभव ने रात में परिजनों और पुलिस को सूचना दी। भोर में पहुंची पुलिस ने दरवाजे की कुंडी तोड़ शव को उतार कब्जे में लिया। कमरे के अंदर दो सुसाइड नोट मिले। इसमें लिखा था कि उन्होंने परिवार को फर्श से अर्श तक पहुंचाया लेकिन अब उन्हें कोई पानी देने वाला भी नहीं है। लिखा है कि उनकी मौत के बाद परिवार वालों को परेशान न किया जाए। मौके पर पहुंचे सीओ कैंट दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि दारोगा कमलेश पूर्व में बालचंद्र के मकान में किराएदार थे। फिलहाल वह दूसरे जिले में तैनात हैं। सुसाइड नोट में लिखी बातों की जानकारी उन्हें दे दी गई है।