वाराणसी। वाराणसी-लखनऊ रेलखंड पर मेहरावां के पास 13009 अप दून एक्सप्रेस हादसे ने उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे की आपदा प्रबंधन तैयारियों की पोल खोलकर रख दी। इतने बड़े हादसे की सूचना मिलने के बाद भी मौके पर मेडिकल रिलीफ वैन पहुंचने में दो घंटे 10 मिनट लग गए। वाराणसी कैंट स्टेशन से ही मेडिकल वैन दोपहर 2.20 बजे रवाना की गई। वैन जब तक मौके पर पहुंची स्थानीय प्रशासन ने राहत का मुकम्मल इंतजाम कर दिया था। इतना ही नहीं आधा दर्जन शव मौके पर मिलने के बाद भी शाम तक रेल प्रशासन मृतकों की शिनाख्त नहीं करा सका था। वाराणसी कैंट स्टेशन पर खोले गए हेल्पलाइन सेंटर पर मृतकों और घायलों की कोई सूचना शाम तक नहीं थी। इतना ही नहीं, पूर्वोत्तर रेलवे की जो मेडिकल रिलीफ वैन कैंट स्टेशन से रवाना हुई, उसका ब्रेक तक नहीं चेक किया गया।
अप दून एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 45 मिनट विलंब से चलते हुए गुरुवार को दिन में 11.30 बजे कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर सात से रवाना हुई थी। यहां से रवाना होने के पौने दो घंटे बाद दोपहर 1.15 बजे मेहरावां में यह ट्रेन बड़े हादसे का शिकार हुई। हादसे के साथ ही कैंट स्टेशन और पूर्वोत्तर रेलवे मंडल मुख्यालय को राहत के लिए सूचना मिल गई। स्थानीय रेल प्रशासन की शिथिलता के चलते सूचना मिलने के एक घंटे पांच मिनट बाद दोपहर 2.20 बजे कैंट स्टेशन से पूर्वोत्तर रेलवे की मेडिकल रिलीफ वैन रवाना हो सकी। इस वैन की रवानगी की तैयारी में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों के बीच तालमेल का अभाव दिखा। रवानगी के समय टीएक्सआर स्टेशन पर ही वैन का ब्रेक चेक करना चाहते थे लेकिन नहीं कर सके। बगैर ब्रेक की जांच किए ही रिलीफ वैन रवाना कर दी गई। इसके बाद कैंट स्टेशन से दोपहर 2.35 बजे दुर्घटना राहत यान (एआरटी) रवाना की गई। पीछे से मुगलसराय से भी एआरटी घटनास्थल के लिए रवाना हुई। लखनऊ से भी एक एआरटी घटनास्थल पहुंची। हालांकि पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के डीआरएम ललित कपूर का कहना है कि सूचना मिलने के साथ ही मेडिकल रिलीफ वैन रवानगी की तैयारी पूरी कर ली गई। बेस स्टेशन मंडुवाडीह से वैन 1.45 बजे चली। कैंट स्टेशन पहुंचने पर पावर बदलने में 25 मिनट लग गया। 2.20 बजे कैंट से रवाना होने के बाद वैन दिन में 3.45 बजे घटनास्थल पर पहुंच गई। कहा कि घटना के कारणों की जांच करने कमिश्नर रेलवे सेफ्टी आएंगे।
वाराणसी। वाराणसी-लखनऊ रेलखंड पर मेहरावां के पास 13009 अप दून एक्सप्रेस हादसे ने उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे की आपदा प्रबंधन तैयारियों की पोल खोलकर रख दी। इतने बड़े हादसे की सूचना मिलने के बाद भी मौके पर मेडिकल रिलीफ वैन पहुंचने में दो घंटे 10 मिनट लग गए। वाराणसी कैंट स्टेशन से ही मेडिकल वैन दोपहर 2.20 बजे रवाना की गई। वैन जब तक मौके पर पहुंची स्थानीय प्रशासन ने राहत का मुकम्मल इंतजाम कर दिया था। इतना ही नहीं आधा दर्जन शव मौके पर मिलने के बाद भी शाम तक रेल प्रशासन मृतकों की शिनाख्त नहीं करा सका था। वाराणसी कैंट स्टेशन पर खोले गए हेल्पलाइन सेंटर पर मृतकों और घायलों की कोई सूचना शाम तक नहीं थी। इतना ही नहीं, पूर्वोत्तर रेलवे की जो मेडिकल रिलीफ वैन कैंट स्टेशन से रवाना हुई, उसका ब्रेक तक नहीं चेक किया गया।
अप दून एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 45 मिनट विलंब से चलते हुए गुरुवार को दिन में 11.30 बजे कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर सात से रवाना हुई थी। यहां से रवाना होने के पौने दो घंटे बाद दोपहर 1.15 बजे मेहरावां में यह ट्रेन बड़े हादसे का शिकार हुई। हादसे के साथ ही कैंट स्टेशन और पूर्वोत्तर रेलवे मंडल मुख्यालय को राहत के लिए सूचना मिल गई। स्थानीय रेल प्रशासन की शिथिलता के चलते सूचना मिलने के एक घंटे पांच मिनट बाद दोपहर 2.20 बजे कैंट स्टेशन से पूर्वोत्तर रेलवे की मेडिकल रिलीफ वैन रवाना हो सकी। इस वैन की रवानगी की तैयारी में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों के बीच तालमेल का अभाव दिखा। रवानगी के समय टीएक्सआर स्टेशन पर ही वैन का ब्रेक चेक करना चाहते थे लेकिन नहीं कर सके। बगैर ब्रेक की जांच किए ही रिलीफ वैन रवाना कर दी गई। इसके बाद कैंट स्टेशन से दोपहर 2.35 बजे दुर्घटना राहत यान (एआरटी) रवाना की गई। पीछे से मुगलसराय से भी एआरटी घटनास्थल के लिए रवाना हुई। लखनऊ से भी एक एआरटी घटनास्थल पहुंची। हालांकि पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के डीआरएम ललित कपूर का कहना है कि सूचना मिलने के साथ ही मेडिकल रिलीफ वैन रवानगी की तैयारी पूरी कर ली गई। बेस स्टेशन मंडुवाडीह से वैन 1.45 बजे चली। कैंट स्टेशन पहुंचने पर पावर बदलने में 25 मिनट लग गया। 2.20 बजे कैंट से रवाना होने के बाद वैन दिन में 3.45 बजे घटनास्थल पर पहुंच गई। कहा कि घटना के कारणों की जांच करने कमिश्नर रेलवे सेफ्टी आएंगे।