वाराणसी। बिजली की घंटों अघोषित कटौती के चलते लोग हवा, पानी तक के लिए तरस गए हैं। तल्ख धूप, गर्म हवाओं के चलते पारा चढ़ने पर लोग पसीने से तरबतर हो जा रहे हैं। जलापूर्ति न होने से लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के अभाव में सब्जी की फसलें सूख रही हैं।
विद्युत आपूर्ति का कोई शेड्यूल निर्धारित नहीं रह गया है। बिजली कब आएगी और कब चली जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। शहर और गांवों में कटौती से नागरिक तथा किसान भी परेशान हैं। शहर को मुश्किल से 12-14 घंटे ही बिजली मिल रही है। नियमित कटौती दोपहर बाद तीन बजे से पांच बजे निर्धारित है। इसके अलावा लोकल स्तर पर रोस्टरिंग, ओवरलोड और मरम्मत के नाम पर अलग से कटौती हो रही है। नदेसर की शाहनाज का कहना है कि बिजली कटौती ने तो बेहाल कर दिया है। लाइट कब रही है पता नहीं चल पाता। औरंगाबाद की कुसुम कहती हैं कि दिन तो किसी तरह कट जाता है लेकिन रात की कटौती ने तो त्रस्त कर कर रखा है। सूरजकुंड की भारत गंगवानी का कहना है कि बिजली कटौती के चलते जनरेटर पर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। इनवर्टर भी जवाब दे रहे हैं। किसान भी प्रभावित हैं। चौबेपुर के रामसूरत सिंह ने कहा कि सिंचाई के अभाव में सब्जी की खेती खराब हो रही है। यही हाल रहा तो धान की नर्सरी भी प्रभावित होगी।
कोट
विभाग का प्रयास है कि निर्धारित शेड्यूल के अनुसार बिजली उपलब्ध कराई जाए, लेकिन गर्मी के चलते आपूर्ति पर असर पड़ा है। कोशिश है कि कम से कम कटौती हो और आपूर्ति की जाए, ताकि लोगों को दिक्कत न हो- एपी मिश्र, प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम