वाराणसी। गंगा के मसले पर उत्तर-दक्षिण दोनों के शीर्ष संत साथ आ गए हैं। दक्षिण में स्थित कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने भी गंगा को बांध मुक्त बनाने के लिए मोर्चा खोल दिया है। ज्योतिष, द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के गंगा सेवा के अभियानम से उनके सुर मिलाने को गंगा आंदोलन को नए खाद-पानी के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर उत्तर-दक्षिण के संत एकजुट हुए तो केंद्र की सरकार घुटना टेकने के लिए मजबूर हो जाएगी। कांची शंकराचार्य दिल्ली कूच में हिस्सा भले न लें लेकिन जून के पहले हफ्ते में वह माहौल गरमाने के लिए गंगासागर में डेरा डालेंगे।
कांची काम कोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने अपने काशी स्थित हनुमान घाट कार्यालय को भी दिशा-निर्देश जारी किया है। उनकी हरी झंडी मिलने के बाद उनके हनुमान घाट स्थित पीठम से जुड़े संन्यासी, आचार्य और बटुक गंगा रक्षा के संघर्ष में जी जान से जुट गए हैं। उन्हें हर स्तर पर गंगा के लिए एकजुटता प्रदर्शित करने की हिदायत दी गई है। शंकराचार्य ने अपने संदेश में इसे चुनौती की घड़ी बताते हुए संतों-भक्तों से साथ मिलकर आंदोलन को कामयाब बनाने को कहा है। एक तरफ हरिद्वार से काशी तक गंगा बेसिन में साधु-संत संघर्षरत हैं तो दूसरी ओर कांची कामकोटि पीठाधीश्वर अब पतितपावनी की रक्षा को खुद गंगासागर के लिए कूच करेंगे। गंगा की अविरल धारा के लिए वे पांच जून से आठ जून तक गंगासागर में महाअनुष्ठान करने के साथ ही बांधों के व्यवधान को दूर करने के उपायों पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों के साथ गहन मंत्रणा करेंगे।