वाराणसी। जिस तरह बीमारी से कमजोर आदमी का शरीर असक्त होकर काला पड़ने लगता है, ठीक वैसी ही गत अब गंगा की नजर आएगी। बिजली, सिंचाई और पेयजल के नाम पर बांधों के जाल से पतित पावनी की धारा का रंग भी बदलने लगा है। तेजी से बढ़ते प्रदूषण के भार और अंधाधुंध जलदोहन को नहीं रोका गया तो हरिद्वार से पश्चिम बंगाल तक पूरे गंगा क्षेत्र को काला होने से नहीं बचाया जा सकता। काशी में सात किमी लंबा उत्तर वाहिनी का पश्चिमी किनारा पूरा काला पड़ गया है। यमुना, गोमती, सरयू, रामगंगा (मुरादाबाद), स्वर्णरेखा, सोन समेत 662 सहायक नदियों से तटीय शहरों, बस्तियों का प्रदूषित अवजल गंगा में लगातार गिरने से यह नौबत आई है। गंगा ग्राम संस्था की ओर से गोमुख से गंगा सागर तक कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, गंगा को जोड़ने वाली छोटी-बड़ी नदियों पर दिल्ली, कोलकाता समेत कुल आठ सौ से अधिक शहर बसे हैं। संस्था की ओर से बेसिन की 50 करोड़ आबादी को ध्यान में रखकर किए गए अध्ययन में 80 से सौ लीटर प्रति व्यक्ति डिस्चार्ज को आधार बनाया गया है। माना गया है कि प्रतिदिन सहायक नदियों से होकर 40 हजार एमएलडी (एक एमएलडी यानी 10 लाख लीटर) से अधिक अवजल गंगा में जा रहा है। ग्राम गंगा के निदेशक डॉ. आरएस दुबे की माने तो सहायक नदियों पर आबाद शहरों के आसपास आधा दर्जन से अधिक विकसित बस्तियों को जोड़ा लिया जाए तो करीब पांच हजार कसबों का डिस्चार्ज इसमें बढ़ जाएगा लेकिन अभी उनका आकलन होना बाकी है। उन कसबों के भी नाले किसी न किसी रूप में गंगा में ही मिल रहे हैं।
प्वाइंटर
662 सहायक नदियों से जुड़ा है अवजल का लिंक
40 अरब लीटर से अधिक अवजल हर दिन गिर रहा है गंगा में
5000 तटीय कसबों के डिस्चार्ज का आकलन होना बाकी
12 प्रदेशों को परोक्ष-अपरोक्ष रूप से जोड़ती है गंगा
बयान
सहायक नदियों से होकर प्रतिदिन आने वाले अवजल के भार को रोकने के लिए शीघ्र प्रबंध किए जाने चाहिए। इसमें ढील खतरे से खाली नहीं होगी। अगर अवजल के बढ़ते भार को नहीं रोका गया तो हरिद्वार से बंगाल की खाड़ी तक गंगा का किनारा काला पड़ने से नहीं रोका जा सकता। इस भयावहता की शुरुआत गांगेय प्रदेशों में हो चुकी है - प्रोफेसर यूके चौधरी, पूर्व निदेशक गंगा प्रयोगशाला बीएचयू
गंगा बेसिन को जोड़ने वाले राज्य : उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल। सहायक : राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असोम, उड़ीसा।
अवजल से भरकर अस्तित्व विहीन हो चुकीं गंगा से जुड़ीं नदियां
वरुणा, अस्सी, यमुना, हिंडन