वाराणसी। तुलसी घाट से पांडुलिपि और अब भारत कला भवन से मुगलकालीन सिक्कों की चोरी ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। इनपुट के मुताबिक एंटीक चीजों की तस्करी ऑन डिमांड हो रही है। बुकी इनके रेट तय करते हैं। पूर्व योजना के तहत ही पांडुलिपि और मुगलकालीन सिक्कों की चोरी हुई है। एंटीक चीजों के सौदागर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में बैठे हुए हैं। देश के अन्य हिस्सों से चुराई जाने वाली एंटीक चीजें भी इन्हीं तीन महानगरों में ही पहुंच रही हैं। घटना के दिन ही चोरी को अंजाम देने वाला शख्स हवाई जहाज या ट्रेन से शहर केे बाहर निकल जाता है।
मुगलकालीन शासक अकबर के समय में ही ज्यादा सिक्के बने थे। इसी समय दीन-ए-इलाही धर्म भी प्रचलन में था। इसी समय तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस भी पूरा हुआ था। तुलसीदास की प्रशंसा में भी अकबर ने कई सिक्के बनवाए थे। अकबर के समय के कुछ सिक्के भारत कला भवन में रखे गए हैं। पूर्व में भी भारत कला भवन में सेंध लग चुकी है। नागरी प्रचारिणी सभा से भी पहले साहित्य पुराण की चोरी हो चुकी है। तुलसी घाट से पांडुलिपि भी चोरी हो चुकी है। पिछले कु छ दिनों में देश के कई हिस्सों में एंटीक चोरियां बढ़ी हैं। पिछले दिनों ही दिल्ली पुलिस ने 350 साल पुरानी हस्तलिखित गुरुग्रंथ साहिब की बरामदगी की थी। यह पटना से चुराई गई थी। सीबीआई की एंटीक सेल भी एंटीक तस्करों के पीछे लगी हुई है। तस्करी में अंतरराष्ट्रीय रैकेट सक्रिय है। बड़े लोग शौक के लिए भी एंटीक चीजों की मुंहमांगी कीमत दे रहे हैं।