(विश्व थायरायड दिवस आज)
वाराणसी। बनारस में थायरायड के दो लाख से अधिक रोगी हैं यानी यहां की लगभग छह फीसदी आबादी (35 लाख की आबादी के हिसाब से) इससे पीडि़त है। चिकित्सकों का मानना है कि इससे हृदय रोग, बांझपन और हड्डियों की कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है। चिकित्सकों का मानना है कि इसका सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो व्यक्ति को गंभीर स्थितियों से गुजरना पड़ सकता है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके प्रारंभिक लक्षणों को लोग नजरअंदाज करते हैं। बाद में इसके खतरे बढ़ जाते हैं। बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के इंडोक्राइनोलाजी विभाग के प्रो. एसके सिंह का कहना है कि अस्पताल में रोजाना आने वाले मरीजों और राष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि यहां इस बीमारी से लगभग दो लाख लोग पीडि़त हैं। उनका कहना है कि यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। बच्चों में भी यह बीमारी होती है। इससे उनका मानसिक विकास अन्य बच्चों की तुलना में कम होता है। उनका कहना है कि गले में सूजन (घेंघा), हार्मोन का कम बनना, हार्मोन का अधिक बनना और थायरायड कैंसर के चार प्रकार के थायरायड होते हैं। घेंघा महिलाओं में अधिक होता है। थायरायड की बीमारी डायबिटीज की तरह ही बहुत कामन है। इस खामोश बीमारी के लक्षणों को पहचानने के साथ ही जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। टीएसएच परीक्षण से इसका आसानी से पता चल जाता है। डा. सिंह का कहना है कि इसका इलाज खर्चीला नहीं है। बस केवल इसके लक्षणों की पहचान करना जरूरी है। इसलिए इस वर्ष 25 मई को विश्व थायरायड दिवस पर थिंक थायरायड, थिंक लाइफ का नारा दिया गया है।
लक्षण
बैठे-बैठे नींद आना, थकान महसूस होना
हाथ-पैर में ऐंठन और सिर भारी लगना
लगातार कब्ज अथवा डायरिया होना
बाद में धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर होना
कारण
प्रदूषित वातावरण और प्लास्टिक का अधिक उपयोग
ज्यादा हार्मोन बनने के लिए सिगरेट की लत जिम्मेदार
दूषित जल का उपयोग करना