वाराणसी। पारा पहुंच गया 45 पार और भर दोपहर बिजली गुल। करें तो क्या करें। कमरे के बाहर निकले तो लू, घर में हैं तो पोछें पसीना। यह सब है मनमानी विद्युत कटौती के चलते। न दिन में बिजली न रात में। आलम यह है कि 24 घंटे में किश्तों में आठ से दस घंटे मिल रही बिजली। खास समय जब लोग थोड़ा आराम करने की मुद्रा में होते हैं तो पता चला कि बिजल कट गई। पिछले एक महीन से यही हाल है। लोग आजिज आ गए हैं, पर समस्या का कोई हल नहीं। इस बीच बुधवार की शाम पौने छह बजे काशी विद्युत उपकेंद्र के पैनल में आग लग गई नतीजा पूरा पक्का महाल अंधेरे में डूब गया। बताया जा रहा है कि गड़बड़ी दूर करने में दस घंटे लगेंगे। तब तक लोग बिजली के साथ पेयजल को भी तरसेंगे।
मंगलवार और बुधवार की रात एक बजे से जो कटौती शुरू हुई वह सिलसिला बुधवार की रात तक जारी रहा। बीती रात एक से ढाई बजे तक बिजली न रहने की सूरत में लोग करवटें बदलते रहे। किसी तरह रात गुजरी तो सुबह सवा नौ से सवा ग्यारह तक फिर कटौती हो गई। थोड़ी सी राहत मिली थी कि सवा दो से पांच बजे तक की कटौती हो गई। यानी सुबह से शाम तक शहर को मिली सिर्फ तीन घंटे बिजली। ये तो रहा लखनऊ कंट्रोल के निर्देश पर कटौती का हाल। इसके अलावा विशेश्वरगंज, भैरोनाथ इलाके में दिन में एक बजे से ही बिजली गायब हो गई। शाम को आपूर्ति जैसी ही बहाल हुई ओवरलोड के चलते काशी विद्युत केंद्र के पैनल में अचानक तेज आवाज के साथ आग लग गई। वहां उपस्थित कर्मचारियों ने किसी तरह बालू फेंककर उसपर काबू पाया। केंद्र के एसएसओं के अनुसार पैनल ठीक करने में लगभग 10 घंटे का समय लगेगा। इसके चलते पठानी टोला, घसियारी टोला, भारद्वाजी टोला, गंगा नगर कालोनी, राजघाट, प्रहलादघाट, नया महादेव, और चौहट्टा समेत कई मुहल्लों में अंधेरा छा गया है। बिजली गुल होने से शाम की पाली में नलकूप नहीं चले तो पेयजलापूर्ति भी नहीं हो सकी। इसके अलावा शहर के अन्य इलाकों में लोकल रोस्टरिंग और फाल्ट लोगों को पसीना-पसीना होना पड़ा। उधर बजरडीहा, मदनपुरा, चेतगंज, मैदागिन, कमच्छा, अस्सी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति न होने से लोगों को जल संकट से जूझना पड़ रहा है सो अलग से।