वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में नौकरी दिलाने के नाम पर कई बेरोजगारों को लाखों की चपत लगाने वाले रविंद्रपुरी कालोनी निवासी ठग पुरुषोत्तम पांडेय को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया। पांच महीने तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकने वाला यह शख्स फिलहाल जिला जेल में है। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पहली बार जब यह मामला प्रकाश में आया था तब अमर उजाला ने 15 जनवरी के अंक में प्रथम पृष्ठ पर यह खबर प्रकाशित की थी।
नौकरी के नाम पर ठगी का मामला पहली बार जनवरी माह में प्रकाश में आया था। चूंकि पुरुषोत्तम पांडेय बीएचयू का पूर्व संविदाकर्मी रहा है ऐसे में वह विश्वविद्यालय के कुछ बड़े लोगों से संबंध का झांसा देकर बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का प्रलोभन देता था। इसके बदले रुपये ऐंठता था। उसने सबसे पहले चौबेपुर के अइली, तिवारीपुर के रहने वाले दिनेश और राजाराम से नौकरी के एवज में दो लाख 23 हजार रुपये एडवांस लिए। उसने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर तक जारी कर दिया। यह मामला जब प्रकाश में आया तब तत्कालीन डीआईजी ने सीओ भेलूपुर को इसकी जांच सौंपी। इसी बीच लंका निवासी राजेश कुमार तिवारी ने भी पुरुषोत्तम पर एक लाख 52 हजार रुपये हड़पने का आरोप लगाया। पुरुषोत्तम ने यह रुपये राजेश से अपना मकान बेचने के लिए बयाना के तौर पर लिया था। इसके बाद 26 अप्रैल को लोहता के रहने वाले राघवेंद्र वर्मा ने भेलूपुर थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया कि उनके भांजे को बीएचयू में नौकरी दिलाने के नाम पर पुरुषोत्तम ने दो लाख 28 हजार रुपये लिए मगर न तो नौकरी मिली और न ही रुपये वापस हुए। राघवेंद्र की तहरीर के बाद उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप पर न सिर्फ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया बल्कि उसकी धरपकड़ के लिए प्रयास भी तेज कर दिया। अब तक अपनी ऊंची पहुंच के चलते पुलिस को छकाने और एक दर्जन बेरोजगारों को लाखों की चपत लगाने वाले पुरुषोत्तम को अंतत: अस्सी चौकी इंचार्ज दुर्गेश्वर मिश्रा ने 20 मई को गिरफ्तार कर लिया।