वाराणसी। गंगा महामुक्ति संग्राम के लिए दिल्ली कूच की घोषणा होते ही देशव्यापी जनजागरण की मुहिम तेज हो गई। मंगलवार को केदार घाट स्थित विद्यामठ में महासंग्राम की सफलता के लिए कुशल योद्धाओं की सूची को अंतिम रूप दिया गया। दोपहर बाद 11 राज्यों में माहौल बनाने के लिए टोलियां रवाना कर दी गईं। इसके अलावा संतों की 21 टोलियां संत समाज को एकजुट करने के लिए निकलेंगी। बाबतपुर एयरपोर्ट जाने से पहले महासंग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि संतों की एकजटुता और दिल्ली घेरने के फैसले से केंद्र की सरकार घबरा गई है। चेताया कि अब भी वक्त है, समय रहते अविरलता पर सरकार राजी हो जाए, वरना ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।
अविरलता-निर्मलता की देशव्यापी मुहिम कितना रंग लाएगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन साधु-संतों के तल्ख अंदाज ने एक बार गंगा और बांधों की उपयोगिता पर बहस छेड़ने की पृष्ठभूमि जरूर तैयार कर दी है। केदार घाट स्थित विद्या मठ में एक तरफ साधु-संतों की रवानगी हो रही ती तो दूसरी ओर संघर्ष को धार देने की योजना पर मशविरा चल रहा था। चार घंटे तक चली महामुक्ति संग्राम की कोर कमेटी की बैठक में दिल्ली कूच को सफल बनाने पर विचार-विमर्श किया गया। बाद में अलग-अलग 11 राज्यों में जिन योद्धाओं को भेजा गया उनमें बिहार के लिए विजय कुमार अवनीश मिश्र, यूपी के लिए ईश्वरचंद्र, अरविंद त्रिपाठी, झारखंड के लिए घनश्याम भगत, मध्यप्रदेश के लिए अरुण तयागी, अरुण तिवारी, धर्मेंद्र, छत्तीसगढ़ के लिए रमेश, उत्तरांचल के लिए शमशेर सिंह बिस्ट, दिल्ली के लिए मास्टर बलजीत सिंह, हरियाणा के लिए सुरेश राठी, हिमाचल के लिए प्रेम और श्रीकृष्णा को टोली नायक बनाया गया है। इनके साथ अन्य सहकर्मियों में रेणु सिसोदिया, विनोद बोधंकर, प्रणव सिंह, राजेंद्र बाघमारे, कन्हैयालाल गुर्जर, मोनिका आर्य, सुरेश भाई और तारकेश्वर ओझा भी शामिल हैं।
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अभी उचित समय नहीं
वाराणसी। अपनी-अपनी पीठों के लिए रवानगी से पहले सुबह विद्यामठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मिलकर कुछ संत सम्मेलन के लिए आभार जताने लगे तो उन्होंने ऐतराज किया। उनका कहना था कि अभी इसका उचित समय नहीं है। पहले गंगा को अविरल बहने का मार्ग प्रशस्त होने दीजिए, फिर देश भर में इस पुनीत महायज्ञ से जुड़े तपस्वियों को बधाई दी जाएगी।