वाराणसी। ऐतिहासिक बेनियाबाग मैदान के बीच में स्थापित गांधी चौर के समीप बने गंगा मुक्ति महासम्मेलन के मंच पर गंगा-जमुना की चिंता और उसके दोआब की संस्कृति छलक पड़ी। सभी धर्म और संस्कृतियों का मेल देखने को मिला। जो संत सबको आशीर्वाद देते हैं, उनको अभिनेता मुकेश खन्ना ने पुत्र कहकर संबोधित किया। किसी को किलविश के निवासी तो किसी को शकुनि के भांजे कहा। सज्जन सिंह के नाम से विख्यात प्रतापगढ़ के अनुपम श्याम ने मंच से श्रोताओं को ठेठ अवधी में डांटा तक और काशी ननियाऊर बताते हुए सबको मामा कह डाला। मंच पर बैठे लोगों ने किसी की बात का बुरा नहीं माना। क्यों मानते गंगा किसी में फर्क करती है, किसी का बुरा मानती है।
गंगा की ही तरह मंच पर हर गंगोजमुनी तहजीब का नजारा देखने को मिला। गंगा को किसी ने मां मानने में आपत्ति नहीं जताई। सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने कहा कि यह अनोखी विडंबना है कि हिंदू समाज जिसे पूजनीय मानता है, उसकी दुर्दशा कर रहा है। स्त्री, गोमाता, मंदिरों, गंगा और यमुना की बात की। हम तो आर्थिक हित भी नहीं सोचते। गंदे जल से होने वाली बीमारियों से होने वाले खर्च की भी परवाह नहीं है। पर मंच पर बात इससे ज्यादा संवेदनशील ढंग से दिखी। कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने मंच से गंगा के साथ यमुना की दुर्दशा की बात उठाई। सम्मेलन का आगाज शेखर द्रविड़, केवी रमण और धनंजय दातार ने वैदिक ऋचाओं के पाठ से हुआ। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने कुरान की आयतों का पाठ किया जबकि फादर आनंद, फादर चंद्रकांत, आइजेक न्यूटन ने बाइबिल के संदेश सुनाए, सतनाम सिंह धुन्ना ने गुरुवाणी, जैन मुनि लोकेश ने जैन श्रावकों का वाचन किया। सबने पानी, पर्यावरण की महत्ता का बखान किया। महामंडलेश्वर संतोष दास, महंत बालक दास जैसे तमाम संत मंच पर मौजूद रहे। इस्लामिक फाउंडेशन के अध्यक्ष एसएम खुर्शीद, हाजी मो. शाह आलम, हाजी मो. अली और डॉ. अफरोज अहमद, बुनकर दस्तकार अधिकार मंच के महामंत्री इदरीस अहमद, नवयुवक बुनकर एकता समिति के बदरुद्दीन, जब्बार अंसारी, अज्जू, विजेता प्रेयर मिनिस्ट्री के संस्थापक एसपी सिंह, वागीशदत्त मिश्र, रमेश चोपड़ा, राकेश चंद्र पांडेय, यतींद्र चतुर्वेदी, प्रजानाथ शर्मा, छावनी परिषद के शैलेंद्र सिंह, विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी, महंत शिवप्रसाद पांडेय लिंगिया सहित विभिन्न धर्मों के लोग शामिल थे।