तपस्वियों को बेनियाबाग न पहुंच पाने का अफसोस
अमर उजाला ब्यूरो
वाराणसी। अस्पताल में तपस्या कर रहे तपस्वियों को महासम्मेलन में शामिल न हो पाने का अफसोस है। उनका कहना है कि अगर वह भी महासम्मेलन में शिरकत करते तो अच्छा होता। हालांकि, उन्हें इस बात की खुशी भी है कि वह मां गंगा के लिए तपस्या तो कर ही रहे हैं। उनका कहना है कि अगर संवेदनहीन सरकार चेत जाए तो तपस्या सफल हो जाएगी।
गंगा के लिए तपस्यारत संत और साध्वी के चेहरे पर महासम्मेलन में शामिल न हो पाने का अफसोस साफ झलक रहा था पर उनकी वाणी में मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने का जोश बरकरार दिखा। जलत्याग कर अस्पताल में तपस्या कर रहीं साध्वी पूर्णांबा का कहना था कि वह भगवान से प्रार्थना कर रही हैं कि महासम्मेलन में जो भी निर्णय हो उस पर जल्द अमल हो। ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद ने कहा कि मां गंगा की अविरलता से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा। प्रशासन तपस्या में चाहे जितनी अड़चने डाले, लेकिन मां गंगा के प्रति आस्था कम नहीं होगी। कहा कि महासम्मेलन में जो भी निर्णय लिया जाएगा वह दिल को सुकून पहुंचाने वाला होगा। तपस्थल पर जलत्याग कर तपस्या कर रहीं साध्वी शारदांबा का कहना है कि कम से कम अब तो केंद्र सरकार को चेत जाना चाहिए। गंगा प्रेमी भिक्षु ने भी इशारे से महासम्मेलन में न जा पाने का अफसोस जताया और श्रीमदभागवत गीता के श्रवण में जुटे रहे।