मानवाधिकार संरक्षण में पुलिस की भूमिका अहम
जनमित्र स्व. धीरेंद्र प्रताप सिंह की स्मृति में संगोष्ठी
वाराणसी। जनमित्र पुरस्कार विजेता स्व. धीरेंद्र प्रताप सिंह की स्मृति में सोमवार को पराड़कर भवन में ‘मानवाधिकार संरक्षण में पुलिस की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। वक्ताओं ने कहा कि बदलते परिवेश में वंचितों, महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यक और गरीबों को शोषण तथा उत्पीड़न से बचाने के लिए जागरूकता की जरूरत है। इस मौके पर पुलिस यातना से पीडि़त आधा दर्जन लोगों ने अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. धीरेंद्र प्रताप सिंह के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। वक्ताओं ने कहा कि मानवाधिकार संरक्षण में पुलिस की भूमिका अहम है। औपनिवेशिक पुलिस एक्ट पर आधारित पुलिस तंत्र की समाज और पुलिस के बीच सहयोगात्मक प्रवृत्ति प्रभावी बनाने के लिए पुलिस आयोगों की सिफारिशों के आधार पर संशोधन होना चाहिए। इस दौरान मुसहर हरिनाथ और लालमन ने उन पर लादे गए फर्जी मुकदमे का जिक्र किया। भोनू मुसहर ने बताया कि पुलिस के चलते उसे कैसे बेवजह जिला बदर होना पड़ा। पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव चितरंजन सिंह, हाईकोर्ट के अधिवक्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी, सुश्री बिंदू सिंह, आचा पीस स्टार पुरस्कार विजेता डा. आरिफ, पीवीसीएचआर के डा. लेनिन, अजय सिंह, जय कुमार मिश्रा, अनूप श्रीवास्तव, श्रुति नागवंशी आदि ने विचार व्यक्त किया।