वाराणसी। भाई जी के नाम से विख्यात समाज सेवी और उद्यमी दीन दयाल जालान के निधन से दुखियारों के सहारे की लाठी ही छिन गई। उनके तिरोधान से काशी के धर्म और संस्कृति प्रेमियों को भी आघात पहुंचा है। कारण अब कौन मानस और भागवत मर्मज्ञों को आमंत्रित करेगा और कौन ख्यातिलब्ध संगीतकारों को बुला कर संगीत-कला प्रेमियों की आकांक्षा पूर्ण करेगा। उनके निधन की खबर से प्राय: हर काशीवासी दुखी है। इस शोक में जालांस प्रतिष्ठान के सभी शो रूम दो दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं। बड़ी तादाद में लोग उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए शनिवार को ही ऋषिकेश रवाना हो गए।
कोमल हृदय के मालिक रांची के मूल निवासी दीनदयाल जी 1970 में काशी आए। यहीं सेंट्रल हिंदू स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। 1974 में बांसफाटक क्षेत्र में वस्त्र की दुकान के साथ व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा। धीरे-धीरे उन्होंने इस दुकान की कई शाखाएं खोल दीं। व्यवसाय के साथ समाज कार्य और धर्म के क्षेत्र में भी उनका विशेष रुझान रहा। अपने प्रतिष्ठान में कार्यरत कर्मचारियों के लिए उन्होंने अन्नपूर्णा भोजनालय शुरू किया। इसके अलावा पांच अन्य भोजनालय भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में खोले। यहां हर निराश्रित को दोनों वक्त का मुफ्त भोजन मिलता है। उनके संरक्षण में दर्गाकुंड में अंध विद्यालय का संचालन शुरू हुआ तो चक्का हरहुआ में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, डगमगपुर चुनार में वनवासी विद्यालय। उन्होंने रामेश्वर, मधुबन, पांचों शिवाला, गोलघर में गौशाला का संचालन शुरू किया। दरअसल गौ सेवा इनका प्रमुख लक्ष्य रहा। उन्होंने कई आम जन के लिए अस्पतालों की स्थापना की तो कारागार में कैदियों को सुधारने और उनकी चिकित्सा का बीड़ा भी उठाया। समय-समय पर धर्म के क्षेत्र में मोरारी बापू, रमेश भाई ओझा आदि के सत्संग भी आयोजित कराए।
ऐसे व्यक्तित्व के तिरोधान से काशीवासियों का शोक में डूबना लाजमी है। वाराणसी विकास समिति ने अपने संरक्षक के निधन पर शोक सभा कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में समिति के अध्यक्ष आरके चौधरी, राजेंद्र दुबे, आरसी जैन, अभय अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, श्रीनारायण खेमका, यूआर सिंह, राजेश जैन, उमाशंकर पांडेय आदि प्रमुख थे। उधर हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में हुई शोक सभा में उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद श्रद्धांजलि दी गई। इसमें नागर प्रसाद दाधीच, डा. धर्मेंद्र सिंह, सुधीर कुमार मोहले सहित विद्यालय परिवार के लोग थे।