{"_id":"63214","slug":"Varanasi-63214-140","type":"story","status":"publish","title_hn":"प्रशासन ने तपस्यिों संग की ज्यादती","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
वाराणसी। अविरलता-निर्मलता की मांग कर रहे तपस्वियों के साथ प्रशासन की जोर-जबरदस्ती शनिवार को उजागर हो गई। प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने जिले के प्रमुख न्यायविदों से तपस्वियों के उत्पीड़न पर राय ली तो सही तथ्य सामने आ गए। प्रशासन की ओर से तपस्या को जो आत्महत्या का प्रयास बताकर फोर्स फीडिंग कराई जा रही थी, उसे असंवैधानिक करार दिया गया। इस पर अगला कदम उठाने के लिए संतों और न्यायविदों की दूसरी बैठक शीघ्र होगी।
विद्यामठ में शुक्रवार की शाम गंगा सेवा अभियानम के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मौजूदगी में स्वामी सानंद ने न्यायविदों से मंत्रणा की। बताया गया कि गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए तपस्या करने पर उनके समेत चार संतों को मंडलीय अस्पताल में प्रशासन ने यह कहकर जबरिया दाखिल करा दिया कि उन्हें आत्महत्या नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे में संतों की तपस्या बाधित हो रही है। इस पर सेंट्रल बार के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राम अवतार पांडेय, रमेश उपाध्याय, चंद्रभान तिवारी, बनारस बार के पूर्व अध्यक्ष विजय रस्तोगी, प्रमथेश पांडेय का कहना था कि तपस्या किसी भी दृष्टि से आत्महत्या का रूप नहीं है। सुसाइड का लक्ष्य खुद को समाप्त करना होता है। जबकि तपस्या का उद्देश्य लोक कल्याण होता है। फोर्स फीडिंग तभी कराई जा सकती है, जब संबधित व्यक्ति को हिरासत में लिया जाए और जीवन खत्म होने की आशंका पैदा हो जाए। बिना -लिखा पढ़ी या पर्याप्त आधार के संतों के साथ फोर्स फीडिंग संवैधानिक नहीं मानी जा सकती।
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