वाराणसी। गंगा तपस्या पर बैठे साधु-संतों से वार्ता करने प्रधानमंत्री के दो दूत शनिवार की सुबह बनारस पहुंच रहे हैं। पीएम की इस पहल पर गंगा प्रेमियों के साथ ही प्रशासन की नजरें भी टिकी हैं। पीएमओ की पोटली से गंगा तपस्वियों के हक में कुछ निकलेगा या नहीं, इस पर अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि स्वतंत्र आयोग के गठन की अभियानम की मांग पर मुहर लग सकती है। इसके अलावा स्वामी सानंद से अविरलता पर एक्सपर्ट राय मांगे जाने की संभावना भी है। फिलहाल पीएम के दूत तपस्वियों से मिलकर गतिरोध कितना दूर कर पाएंगे, यह तो नहीं कहा जा सकता पर वार्ता की पिछली विफलताओं को देखते हुए संतों को किसी सार्थक नतीजे की उम्मीद कम ही है। यही नहीं इस पहल को आंदोलन को कमजोर करने की चाल के रूप में भी देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी शत्रुघ्न सिंह और ज्वाइंट सेक्रेटरी (पर्यावरण) राजीव शर्मा दिन में 11 बजे विमान से लालबहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचेंगे। इसके बाद तप स्थल पर साधु-संतों से वार्ता करेंगे। गंगा सेवा अभियानम के कर्ताधर्ता चाहते हैं कि पीएम के दूत के रूप में आने वाले अफसर अविरलता-निर्मलता पर ठोस घोषणा करें। साथ ही राष्ट्रीय नदी गंगा के लिए अलग से नीति बने और प्राधिकरण से हटकर पूर्णकालिक आयोग का गठन कर दिया जाए। जो बांध बन चुके हैं, उन्हें अभियानम नहीं चाहता कि तत्काल छेड़ा जाए। पर गंगा तबतक निर्मल नहीं हो सकती, जबतक कि धारा अविरल न हो जाए। धारा अविरल तबतक नहीं हो सकती जबतक बांधों को रोका नहीं जाएगा। इसलिए सरकार घोषणा करे कि गंगा पर कोई बांध नहीं बनेगा। गंगा मुक्ति महासंग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्ण की मानें तो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले एनजीआरबीए की गठन के चार साल में सिर्फ चार बैठकें ही हो सकी हैं। इस संस्था की भूमिका किसी फंडिंग एजेंसी से अधिक अबतक सामने नहीं आ सकी है। इसलिए स्वतंत्र एजेंसी बनाई जानी चाहिए।
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दिल्ली घेरने का खाका तैयार कर चुके हैं साधु-संत
वाराणसी। अविरलता के मसले पर भाग रही केंद्र सरकार को घेरने के लिए साधु-संत अब दिल्ली कूच करेंगे। 21 जून को बेनियाबाग के मैदान में गंगा मुक्ति महासंग्राम की ओर से महासम्मेलन इसी रणनीति का एक हिस्सा है। आंदोलनकारी चाहते हैं कि गर्म लोहे पर इतनी चोट की जाए कि काम बन जाए। कल्कि पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णम का कहना है कि गंगा की अविरलता के मुद्दे पर सरकार किसी तरह का वादा करने से घबरा रही है। ऐसे में जरूरत है दिल्ली में बड़े जन आंदोलन की। दूत भेजना तपस्वियों को बहकाने की चाल है और हम इस झांसे में नहीं आएंगे। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने देश भर के संतों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों का आह्वान किया कि गंगा मुक्ति के लिए सब एकजुट होकर साथ आएं। सरकार को अभियानम का सुझाव मानना होगा, वरना दिल्ली घेरने की तैयारी बना ली गई है। 21 मई को बेनियाबाग के मैदान में इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
वाराणसी। गंगा तपस्या पर बैठे साधु-संतों से वार्ता करने प्रधानमंत्री के दो दूत शनिवार की सुबह बनारस पहुंच रहे हैं। पीएम की इस पहल पर गंगा प्रेमियों के साथ ही प्रशासन की नजरें भी टिकी हैं। पीएमओ की पोटली से गंगा तपस्वियों के हक में कुछ निकलेगा या नहीं, इस पर अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि स्वतंत्र आयोग के गठन की अभियानम की मांग पर मुहर लग सकती है। इसके अलावा स्वामी सानंद से अविरलता पर एक्सपर्ट राय मांगे जाने की संभावना भी है। फिलहाल पीएम के दूत तपस्वियों से मिलकर गतिरोध कितना दूर कर पाएंगे, यह तो नहीं कहा जा सकता पर वार्ता की पिछली विफलताओं को देखते हुए संतों को किसी सार्थक नतीजे की उम्मीद कम ही है। यही नहीं इस पहल को आंदोलन को कमजोर करने की चाल के रूप में भी देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी शत्रुघ्न सिंह और ज्वाइंट सेक्रेटरी (पर्यावरण) राजीव शर्मा दिन में 11 बजे विमान से लालबहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचेंगे। इसके बाद तप स्थल पर साधु-संतों से वार्ता करेंगे। गंगा सेवा अभियानम के कर्ताधर्ता चाहते हैं कि पीएम के दूत के रूप में आने वाले अफसर अविरलता-निर्मलता पर ठोस घोषणा करें। साथ ही राष्ट्रीय नदी गंगा के लिए अलग से नीति बने और प्राधिकरण से हटकर पूर्णकालिक आयोग का गठन कर दिया जाए। जो बांध बन चुके हैं, उन्हें अभियानम नहीं चाहता कि तत्काल छेड़ा जाए। पर गंगा तबतक निर्मल नहीं हो सकती, जबतक कि धारा अविरल न हो जाए। धारा अविरल तबतक नहीं हो सकती जबतक बांधों को रोका नहीं जाएगा। इसलिए सरकार घोषणा करे कि गंगा पर कोई बांध नहीं बनेगा। गंगा मुक्ति महासंग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्ण की मानें तो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले एनजीआरबीए की गठन के चार साल में सिर्फ चार बैठकें ही हो सकी हैं। इस संस्था की भूमिका किसी फंडिंग एजेंसी से अधिक अबतक सामने नहीं आ सकी है। इसलिए स्वतंत्र एजेंसी बनाई जानी चाहिए।
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दिल्ली घेरने का खाका तैयार कर चुके हैं साधु-संत
वाराणसी। अविरलता के मसले पर भाग रही केंद्र सरकार को घेरने के लिए साधु-संत अब दिल्ली कूच करेंगे। 21 जून को बेनियाबाग के मैदान में गंगा मुक्ति महासंग्राम की ओर से महासम्मेलन इसी रणनीति का एक हिस्सा है। आंदोलनकारी चाहते हैं कि गर्म लोहे पर इतनी चोट की जाए कि काम बन जाए। कल्कि पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णम का कहना है कि गंगा की अविरलता के मुद्दे पर सरकार किसी तरह का वादा करने से घबरा रही है। ऐसे में जरूरत है दिल्ली में बड़े जन आंदोलन की। दूत भेजना तपस्वियों को बहकाने की चाल है और हम इस झांसे में नहीं आएंगे। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने देश भर के संतों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों का आह्वान किया कि गंगा मुक्ति के लिए सब एकजुट होकर साथ आएं। सरकार को अभियानम का सुझाव मानना होगा, वरना दिल्ली घेरने की तैयारी बना ली गई है। 21 मई को बेनियाबाग के मैदान में इसकी घोषणा कर दी जाएगी।