वाराणसी। काशी से गंगा महामुक्ति संग्राम के आगाज से पहले हरकत में आई केंद्र सरकार ने तपस्वियों से सुलह के हर रास्ते खंगालने शुरू कर दिए हैं। आयोग गठन के ऐलान के साथ गंगा पर सियासत तेज होते ही ज्योतिष एवं द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को ग्वालियर से दिल्ली पहुंच गए। वहां केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात ने गंगा आंदोलनकारियों और सियासदां के बीच हलचलें तेज कर दीं। कहा जा रहा है कि तपस्या खत्म कराने को प्रधानमंत्री का विशेष संदेश लेकर वह शंकराचार्य के पास गए थे।
केंद्रीय कोयला मंत्री ने शंकराचार्य से करीब आधे घंटे तक मेहरौली में अकेले में गंगा की अविरलता-निर्मलता के मसले पर मंत्रणा की। केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बन रही तपस्या को किसी भी दशा में समाप्त कराना अब शीर्ष स्तर पर जरूरी समझा जाने लगा है। मंत्री की इस पहले के बाद महामुक्ति संग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी शंकराचार्य से आशीर्वाद लिया। आचार्य प्रमोद ने मंत्री और शंकराचार्य के बीच हुई बात का ब्यौरा देने में असमर्थता जताई लेकिन इतना जरूर कहा कि शंकराचार्य अविरल धारा के मसले पर अडिग हैं। उन्होंने कोयला मंत्री से साफ कह दिया है कि पहले केंद्र सरकार देश की जानता के सामने घोषणा करे कि गंगा पर एक भी बांध नहीं बनेगे। फिर आगे की बात की जाएगी। वैसे कल्कि पीठाधीश्वर ने प्रधानमंत्री की ओर से बातचीत की इस पहल को भविष्य के लिए सुखद करार दिया है।
वाराणसी। काशी से गंगा महामुक्ति संग्राम के आगाज से पहले हरकत में आई केंद्र सरकार ने तपस्वियों से सुलह के हर रास्ते खंगालने शुरू कर दिए हैं। आयोग गठन के ऐलान के साथ गंगा पर सियासत तेज होते ही ज्योतिष एवं द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को ग्वालियर से दिल्ली पहुंच गए। वहां केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात ने गंगा आंदोलनकारियों और सियासदां के बीच हलचलें तेज कर दीं। कहा जा रहा है कि तपस्या खत्म कराने को प्रधानमंत्री का विशेष संदेश लेकर वह शंकराचार्य के पास गए थे।
केंद्रीय कोयला मंत्री ने शंकराचार्य से करीब आधे घंटे तक मेहरौली में अकेले में गंगा की अविरलता-निर्मलता के मसले पर मंत्रणा की। केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बन रही तपस्या को किसी भी दशा में समाप्त कराना अब शीर्ष स्तर पर जरूरी समझा जाने लगा है। मंत्री की इस पहले के बाद महामुक्ति संग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी शंकराचार्य से आशीर्वाद लिया। आचार्य प्रमोद ने मंत्री और शंकराचार्य के बीच हुई बात का ब्यौरा देने में असमर्थता जताई लेकिन इतना जरूर कहा कि शंकराचार्य अविरल धारा के मसले पर अडिग हैं। उन्होंने कोयला मंत्री से साफ कह दिया है कि पहले केंद्र सरकार देश की जानता के सामने घोषणा करे कि गंगा पर एक भी बांध नहीं बनेगे। फिर आगे की बात की जाएगी। वैसे कल्कि पीठाधीश्वर ने प्रधानमंत्री की ओर से बातचीत की इस पहल को भविष्य के लिए सुखद करार दिया है।