वाराणसी। गरमी चरम पर है। बिना बिजली के एक क्षण रहना मुश्किल है। ऐसे में स्थानीय उपकेंद्रों की बदहाली पांव में जूते की कील की तरह चुभ रही है। कंट्रोल से तीन या चार घंटे की कटौती हो रही है लेकिन शहर के किसी भी मुहल्ले में अनवरत घंटे-दो घंटे भी विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही है। मरम्मत के अभाव में बदहाल उपकेंद्रों में ट्रांसफार्मर गर्म होकर ट्रिप कर रहे हैं तो गलियों के ट्रांसफार्मरों में आग लग रही है। इससे पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था भी चरमरा गई है। रात में विभिन्न मुहल्लों में लोड कम करने के लिए छापामारी की जा रही है लेकिन उससे भी राहत मिल रही। राजाबाजार में दिनभर आपूर्ति ठप रहने से गुस्साए लोग रात लगभग साढ़े दस बजे पन्नालाल उपकेंद्र पहुंच गए और हंगामा करने लगे।
लखनऊ कंट्रोल ने दिन में दो से पांच बजे तक महज तीन घंटे शहर की कटौती की परंतु ज्यादातर इलाकों में पांच से सात बार में 12-13 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिली। कुछ इलाकों में तो सारी रात बिजली गुल रही। शंकुलधारा 33 केवी उपकेंद्र का ट्रांसफार्मर सूरज चढ़ते ही तपने लगा। लिहाजा कर्मचारियों ने दुर्गाकुंड से गौदौलिया तक की बिजली साढ़े 12 बजे बंद कर दी। शाम को आपूर्ति बहाल हुई तो भी रोस्टरिंग की जाती रही। लेढ़ूपुर उपकेंद्र का 40 एमबीए का ट्रांसफार्मर रात में एक बजकर 40 मिनट पर ट्रिप कर गया। उसे दोपहर 12.40 पर ठीक किया गया। तब तक वरुणापार और पक्का महाल के मुहल्लों के उपकेंद्रों का लोड कम किया जाता रहा। पांडेयपुर के कुछ मुहल्लों में सारी रात बिजली गुल रही। प्रेमचंद नगर कालोनी में तो शाम को 6.40 से आठ बजे तक डीओ बांधने के चक्कर में बिजली गुल रही।
हुकुलगंज में बद्री कटरा के पास के ट्रांसफार्मर में रात पौने नौ बजे आग लग गई। भीषण गर्मी में विभाग को पेड़ों की छंटाई की भी सुध आ गई है। इसके लिए दिन में ढाई घंटे तक एमईएस उपकेंद्र ठप रहा। मैदागिन के मैदानिग फीडर में पौने 11 से पांच और बेनियाबाग के चेतगंज फीडर में सवा एक बजे ही आपूर्ति ठप कर दी गई। केबिल बाक्स जलने के कारण चौकाघाट उपकेंद्र सुबह पौने आठ से पौने 11 बजे तक ठप रहा। इसके अलावा शहर के सभी उपकेंद्रों के फीडरों को शाम को रोस्टरिंग करके चलाया जाता रहा। कुछ जगहों पर फाल्ट दुरुस्त करने के लिए घंटों शट डाउन रखा गया। कर्मचारी संकट को देखते हुए सेक्शन खोल कर काम करने के बजाय पूरा फीडर बंद रख रहे हैं। इसमें रोस्टरिंग के समय का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
वाराणसी। गरमी चरम पर है। बिना बिजली के एक क्षण रहना मुश्किल है। ऐसे में स्थानीय उपकेंद्रों की बदहाली पांव में जूते की कील की तरह चुभ रही है। कंट्रोल से तीन या चार घंटे की कटौती हो रही है लेकिन शहर के किसी भी मुहल्ले में अनवरत घंटे-दो घंटे भी विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही है। मरम्मत के अभाव में बदहाल उपकेंद्रों में ट्रांसफार्मर गर्म होकर ट्रिप कर रहे हैं तो गलियों के ट्रांसफार्मरों में आग लग रही है। इससे पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था भी चरमरा गई है। रात में विभिन्न मुहल्लों में लोड कम करने के लिए छापामारी की जा रही है लेकिन उससे भी राहत मिल रही। राजाबाजार में दिनभर आपूर्ति ठप रहने से गुस्साए लोग रात लगभग साढ़े दस बजे पन्नालाल उपकेंद्र पहुंच गए और हंगामा करने लगे।
लखनऊ कंट्रोल ने दिन में दो से पांच बजे तक महज तीन घंटे शहर की कटौती की परंतु ज्यादातर इलाकों में पांच से सात बार में 12-13 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिली। कुछ इलाकों में तो सारी रात बिजली गुल रही। शंकुलधारा 33 केवी उपकेंद्र का ट्रांसफार्मर सूरज चढ़ते ही तपने लगा। लिहाजा कर्मचारियों ने दुर्गाकुंड से गौदौलिया तक की बिजली साढ़े 12 बजे बंद कर दी। शाम को आपूर्ति बहाल हुई तो भी रोस्टरिंग की जाती रही। लेढ़ूपुर उपकेंद्र का 40 एमबीए का ट्रांसफार्मर रात में एक बजकर 40 मिनट पर ट्रिप कर गया। उसे दोपहर 12.40 पर ठीक किया गया। तब तक वरुणापार और पक्का महाल के मुहल्लों के उपकेंद्रों का लोड कम किया जाता रहा। पांडेयपुर के कुछ मुहल्लों में सारी रात बिजली गुल रही। प्रेमचंद नगर कालोनी में तो शाम को 6.40 से आठ बजे तक डीओ बांधने के चक्कर में बिजली गुल रही।
हुकुलगंज में बद्री कटरा के पास के ट्रांसफार्मर में रात पौने नौ बजे आग लग गई। भीषण गर्मी में विभाग को पेड़ों की छंटाई की भी सुध आ गई है। इसके लिए दिन में ढाई घंटे तक एमईएस उपकेंद्र ठप रहा। मैदागिन के मैदानिग फीडर में पौने 11 से पांच और बेनियाबाग के चेतगंज फीडर में सवा एक बजे ही आपूर्ति ठप कर दी गई। केबिल बाक्स जलने के कारण चौकाघाट उपकेंद्र सुबह पौने आठ से पौने 11 बजे तक ठप रहा। इसके अलावा शहर के सभी उपकेंद्रों के फीडरों को शाम को रोस्टरिंग करके चलाया जाता रहा। कुछ जगहों पर फाल्ट दुरुस्त करने के लिए घंटों शट डाउन रखा गया। कर्मचारी संकट को देखते हुए सेक्शन खोल कर काम करने के बजाय पूरा फीडर बंद रख रहे हैं। इसमें रोस्टरिंग के समय का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।