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सत्संग से मनुष्य होता है संस्कारित
Varanasi
Updated Fri, 18 May 2012 12:00 PM IST
आराजीलाइन। संत श्री भूषण भाई ने कहा कि सत्संग से ही व्यक्ति संस्कारित होता है। बच्चों को घर में माता-पिता, गांव में पड़ोस के लोगों और विद्यालय में गुरु से संस्कार मिलता है। बचपन में बच्चों में बोया गया संस्कार भविष्य में उन्हें नेक और चरित्रवान इंसान बनाता है। नेक व्यक्ति राष्ट्रवादी होता है। उन्होंने ये बातें आराजीलाइन के जयापुर में सशक्त राष्ट्रीय प्रहरी के बैनर तले आयोजित भारत नवनिर्माण कथा में कहीं।
ध्रुव प्रसंग पर कहा कि सौतेली मां की प्रताड़ना के बाद भी भक्त ध्रुव ने संस्कार नहीं छोड़ा। वन तपस्या करने जाते समय उन्होेंने सौतेली मां का भी आशीर्वाद लिया और सफलता प्राप्त की। उसी प्रकार विकट परिस्थिति होते हुए भी हमें भारत मां के लिए अनेक ध्रुव तैयार करने होंगे। तभी भारत का कल्याण होगा। हर घर में छोटा पुस्तकालय होना चाहिए जिसमें धर्म, संस्कार, भारतीय मनीषियों के जीवन से संबंधित पुस्तकें होनी चाहिए। अध्यात्म से ही सच्ची शांति मिलेगी। गंगाजल को अमृत बताते हुए कहा कि सुबह शाम दस मिली गंगाजल का सेवन करने से गैस की बीमारी का समूल नाश होता है। आयुर्वेदिक दवाओं में गंगाजल के मिश्रण से उसका गुण कई गुना बढ़ जाता है। उधर, गंगा बचाओ आंदोलन पर अमरेंद्र भाई ने कहा कि एसआरपी ने चार मूल आधारों में गंगा को शामिल किया है। गंगा को बचाने के लिए जनमानस में गंगाजल की महत्ता स्थापित करनी होगी। हजारों परिवारों की आजीविका औषधि निर्माण के माध्यम से गंगा पर निर्भर है। हम लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे। इस मौके पर जयप्रकाश उपाध्याय, खिलाड़ी, अरविंद, सुरेंद्र सिंह, जयप्रकाश शर्मा, विजेंद्र आदि थे।
आराजीलाइन। संत श्री भूषण भाई ने कहा कि सत्संग से ही व्यक्ति संस्कारित होता है। बच्चों को घर में माता-पिता, गांव में पड़ोस के लोगों और विद्यालय में गुरु से संस्कार मिलता है। बचपन में बच्चों में बोया गया संस्कार भविष्य में उन्हें नेक और चरित्रवान इंसान बनाता है। नेक व्यक्ति राष्ट्रवादी होता है। उन्होंने ये बातें आराजीलाइन के जयापुर में सशक्त राष्ट्रीय प्रहरी के बैनर तले आयोजित भारत नवनिर्माण कथा में कहीं।
ध्रुव प्रसंग पर कहा कि सौतेली मां की प्रताड़ना के बाद भी भक्त ध्रुव ने संस्कार नहीं छोड़ा। वन तपस्या करने जाते समय उन्होेंने सौतेली मां का भी आशीर्वाद लिया और सफलता प्राप्त की। उसी प्रकार विकट परिस्थिति होते हुए भी हमें भारत मां के लिए अनेक ध्रुव तैयार करने होंगे। तभी भारत का कल्याण होगा। हर घर में छोटा पुस्तकालय होना चाहिए जिसमें धर्म, संस्कार, भारतीय मनीषियों के जीवन से संबंधित पुस्तकें होनी चाहिए। अध्यात्म से ही सच्ची शांति मिलेगी। गंगाजल को अमृत बताते हुए कहा कि सुबह शाम दस मिली गंगाजल का सेवन करने से गैस की बीमारी का समूल नाश होता है। आयुर्वेदिक दवाओं में गंगाजल के मिश्रण से उसका गुण कई गुना बढ़ जाता है। उधर, गंगा बचाओ आंदोलन पर अमरेंद्र भाई ने कहा कि एसआरपी ने चार मूल आधारों में गंगा को शामिल किया है। गंगा को बचाने के लिए जनमानस में गंगाजल की महत्ता स्थापित करनी होगी। हजारों परिवारों की आजीविका औषधि निर्माण के माध्यम से गंगा पर निर्भर है। हम लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे। इस मौके पर जयप्रकाश उपाध्याय, खिलाड़ी, अरविंद, सुरेंद्र सिंह, जयप्रकाश शर्मा, विजेंद्र आदि थे।