वाराणसी। बाहर नौकरी करने वाले पति का पत्नी को साथ न ले जाना इतना अखरा कि उसने दो मासूम बच्चों को तो जहर पिलाया ही खुद भी सेवन कर लिया। जब तक परिवार के लोग तीनों का इलाज शुरू करा पाते, दो साल के मासूम ने दम तोड़ दिया, जबकि मां और चार साल की बेटी को डाक्टरों ने अथक प्रयास से बचा लिया। घटना चौबेपुर के नारायनपुर गांव की है।
देवरिया की एक कंपनी में में काम करने वाला मनोज कुमार यादव नरायनपुर (गुदड़ी का पुरा) में सपरिवार रहता है। दो दिन पहले वह काम से छुट्टी लेकर अपने घर आया था। इस बीच मंगलवार को पत्नी किरन यादव (25) मनोज से नौकरी पर साथ ले चलने की जिद करने लगी। मनोज ने उसे बहुत समझाया और बताया कि उसको कंपनी से इतना वेतन नहीं मिलता कि वह पूरे परिवार का खर्च वहन कर सके। ऐसे में उसका चलना ठीक नहीं है, मगर पत्नी जिद पर अड़ी रही। उसका तर्क था कि वह खुद नौकरी करेगी और दिक्कत नहीं होने देगी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी। इसके बाद मनोज डुबकिया चला गया। इधर, पति से क्षुब्ध पत्नी ने रात में खाना खाने के बाद बैगन में छिड़कने वाली दवा का खुद तो सेवन किया ही, अपने बच्चों चार साल की बेटी रिया और दो साल के बेटे हर्ष को भी दवा बताकर पिला दिया।
जहर पीने के बाद रिया दौड़ती हुई अपने चाचा राम प्रवेश के पास पहुंची। वह बता ही रही थी कि मम्मी ने जो दवा पिलाई है, वह कड़वी लग रही है तब तक उसे उल्टी होने लगी। दुर्गंध से परिवार के लोग समझ गए कि माजरा क्या है। ऐसे में आननफानन में परिजन तीनों को लेकर लेढ़ूपुर स्थित एक निजी चिकित्सालय गए। यहां डाक्टरों ने मां और बेटी को तो भर्ती कर बचा लिया लेकिन मासूम हर्ष को अन्यत्र ले जाने की सलाह दी। दूसरे अस्पताल जाते समय मासूम ने दम तोड़ दिया।
वाराणसी। बाहर नौकरी करने वाले पति का पत्नी को साथ न ले जाना इतना अखरा कि उसने दो मासूम बच्चों को तो जहर पिलाया ही खुद भी सेवन कर लिया। जब तक परिवार के लोग तीनों का इलाज शुरू करा पाते, दो साल के मासूम ने दम तोड़ दिया, जबकि मां और चार साल की बेटी को डाक्टरों ने अथक प्रयास से बचा लिया। घटना चौबेपुर के नारायनपुर गांव की है।
देवरिया की एक कंपनी में में काम करने वाला मनोज कुमार यादव नरायनपुर (गुदड़ी का पुरा) में सपरिवार रहता है। दो दिन पहले वह काम से छुट्टी लेकर अपने घर आया था। इस बीच मंगलवार को पत्नी किरन यादव (25) मनोज से नौकरी पर साथ ले चलने की जिद करने लगी। मनोज ने उसे बहुत समझाया और बताया कि उसको कंपनी से इतना वेतन नहीं मिलता कि वह पूरे परिवार का खर्च वहन कर सके। ऐसे में उसका चलना ठीक नहीं है, मगर पत्नी जिद पर अड़ी रही। उसका तर्क था कि वह खुद नौकरी करेगी और दिक्कत नहीं होने देगी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी। इसके बाद मनोज डुबकिया चला गया। इधर, पति से क्षुब्ध पत्नी ने रात में खाना खाने के बाद बैगन में छिड़कने वाली दवा का खुद तो सेवन किया ही, अपने बच्चों चार साल की बेटी रिया और दो साल के बेटे हर्ष को भी दवा बताकर पिला दिया।
जहर पीने के बाद रिया दौड़ती हुई अपने चाचा राम प्रवेश के पास पहुंची। वह बता ही रही थी कि मम्मी ने जो दवा पिलाई है, वह कड़वी लग रही है तब तक उसे उल्टी होने लगी। दुर्गंध से परिवार के लोग समझ गए कि माजरा क्या है। ऐसे में आननफानन में परिजन तीनों को लेकर लेढ़ूपुर स्थित एक निजी चिकित्सालय गए। यहां डाक्टरों ने मां और बेटी को तो भर्ती कर बचा लिया लेकिन मासूम हर्ष को अन्यत्र ले जाने की सलाह दी। दूसरे अस्पताल जाते समय मासूम ने दम तोड़ दिया।