वाराणसी। प्रदेश के 17909 राजस्व गांवों में जन सेवा केंद्र स्थापित कर सरकारी सेवाओं से आम जनता को जोड़ा जाएगा। इन सेवा केंद्रों के माध्यम से जाति, आय, निवास, विकलांगता, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, वृद्धा, विकलांग, विधवा पेंशन, राजस्व न्यायालय, राशन कार्ड से संबंधित सेवाएं, पुलिस विभाग में शिकायत दर्ज करने, खतौनी प्राप्त करने आदि से संबंधित कार्य किए जा सकेंगे। इससे ग्रामीणों को तहसील व जिला मुख्यालय का बार-बार चक्कर लगाने से निजात मिलेगी।
यह जानकारी मंडलायुक्त चंचल कुमार तिवारी ने बुधवार को मंडलीय सभागार में आयोजित मंडल स्तरीय ई-गवर्नेंस कार्यशाला के उद्घाटन के बाद इसमें शामिल मंडल स्तरीय अधिकारियों को दी। उनका कहना था कि ई गवर्नेंस का मुख्य उद्देश्य आम जनता को सभी शासकीय सेवाएं उसके दरवाजे पर कम लागत में उपलब्ध कराना है। इससे शासकीय कार्यों में गति आने के साथ ही पारदर्शिता भी आएगी। सेंटर फार ई गवर्नेंस लखनऊ से आए वरिष्ठ सलाहकार ऋषिराज सिंह ने इसके तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डाला। कहा कि विभागों में फाइलिंग का कार्य काफी पुराना है। इससे कभी भी आग लगने एवं दुर्घटना की स्थिति में ज्यादा नुकसान की आशंका बनी रहती है। ई गवर्नेंस से कार्यों में गति आने के साथ ही पारदर्शिता भी आती है। कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण से दुर्घटनाओं की संभावना समाप्त हो जाती है। आनलाइन व्यवस्था होने से सभी विभागीय कंप्यूटर डाटा सेंटर से जुड़े होंगे। जब विभागीय योजनाएं आन लाइन होंगी तो उसकी जानकारी जनता इंटरनेट के जरिए सीधे प्राप्त कर सकेगी। गत वर्ष ई गवर्नेंस के जरिए गन्ना विभाग ने 80 करोड़ रुपये राजस्व का बचत किया था। उन्होंने बताया कि ई डिस्ट्रिक्ट योजना के तहत एकल खिड़की व्यवस्था के रूप में जिलों के कलेक्ट्रेट परिसरों में 50 लाख रुपये की लागत से स्टेट आफ आर्ट तकनीकी आधारित जन सुविधा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इनके जरिए रोजगार पंजीकरण, राशन कार्ड अपडेशन सहित 22 महत्वपूर्ण सेवाएं आन लाइन हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के पास इलेक्ट्रानिक सर्विस डिलेवरी बिल लंबित है। इसके पास होते ही निर्धारित समय में विभागों को अपनी सेवाएं आन लाइन करनी होंगी।