वाराणसी। गंगा तट से 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक की तैयारी हो रही है। शहर के सुनियोजित विकास के बाबत तैयार किए जा रहे महायोजना 2031 में इसके लिए प्रस्ताव लाया जा रहा है।
वर्तमान में गंगा तट से 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक है। इस दायरे में स्थित पुराने भवनों की मरम्मत के लिए भी विकास प्राधिकरण प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। उधर, अब महायोजना 2031 में गंगा तट से 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगाने संबंधी प्रस्ताव लाया जा रहा है। नई महायोजना को जल्दी ही अंतिम रूप देकर उसे ग्राम्य एवं नगर नियोजन विभाग के मुख्यालय भेजने की तैयारी चल रही है। नए निर्माण पर रोक का उद्देश्य गंगा में प्रदूषण बढ़ने से रोकना है। इसके पीछे अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि नया निर्माण होने से उन घरों से निकलने वाला सीवेज भी गंगा में गिरेगा। साथ ही अन्य अपशिष्ट भी गंगा में ही जाएंगे। नई महायोजना में गंगा से निर्धारित दूरी के अंदर नए निर्माण पर रोक के साथ ही जो पुराने निर्माण हैं, उन भवनों से निकलने वाले अपशिष्ट को भी गंगा में गिरने से रोकने की व्यवस्था करने की बात कही जा रही है। नई महायोजना में वरुणा नदी के दोनों किनारों पर सौ-सौ मीटर के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी किया जा रहा है। इस ग्रीन बेल्ट में भी किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक रहेगी। इसी तरह से अस्सी नाले के दोनों तरफ भी 50-50 मीटर के दायरे में ग्रीन बेल्ट विकसित करने का प्रस्ताव है। साथ ही इसके दोनों तरफ पचास-पचास मीटर के दायेर में अब कोई नया निर्माण नहीं हो सकेगा। वर्तमान में अस्सी नाले के इर्द गिर्द जो निर्माण हैं, भविष्य में जर्जर होने पर इसकी मरम्मत की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए नई महायोजना में प्रस्ताव लाया जा रहा है।