मामला हल होने तक जारी रहेगी तपस्या
वाराणसी। अविरल-निर्मल गंगा के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार की देर रात अन्न त्यागने की घोषणा की। अब वह अन्न ग्रहण न करते हुए सिर्फ जल लेते हुए आंदोलन का नेतृत्व करेंगे और मां गंगा की तपस्या में भागीदारी भी।
स्वामी जी ने हुई बातचीत में गंगा मुक्ति के लिए आंदोलन की शुरुआत होने मैं खुद अन्न जल त्याग कर तपस्या करना चाहता था। लेकिन ज्ञानस्वरूप सानंद महाराज के दिल में गंगा के प्रति आगाध श्रद्धा देख मैने अपने कदम तपस्या से पीछे खींच लिए। लेकिन जब सानंद जी को बीएचयू में पहली बार जल ग्रहण कराया गया तो मैने समझा अब मेरा नंबर तपस्या के लिए है। लेकिन मुझे यह कह कर फिर रोक दिया गया कि सेनापति ही बैठ जाएगा तो नेतृत्व कौन करेगा। जिस पर वह फिर पीछे हट गए और गंगा प्रेमी भिक्षु ने जल त्याग कर तपस्या को आगे बढ़ाया।
अब चूंकि फिर काशी आकर सानंद महाराज ने जल त्यागा और प्रशासन ने उन्हें हठ कर अस्पताल में भर्ती कराया और फोर्स फीडिंग करा कर उनकी तपस्या भंग की। तब उन्होंने सोचा कि अब वह गंगा तपस्या के भागीदार बनेंगे। लेकिन फिर वही नेतृत्व वाली याद दिलाई गई। लेकिन मैं अपने का रोक नहीं पाया और तय किया कि सिर्फ कम से कम अन्न का त्याग जरूर करूं। जल पर निर्भर रह कर दोनों काम कर सकूंगा। मां गंगा की तपस्या का भागीदार भी बनूंगा और आंदोलन का नेतृत्व भी करता रहूंगा। संयोग यह भी है कि आज ही के दिन शंकराचार्य से दीक्षा के 10वें साल की शुरुआत भी हो रही है। ऐसे में मेरे लिए इससे बेहतर और कोई दिन नहीं हो सकता था।
बाबा नागनाथ भी अस्पताल में भर्ती
वाराणसी। गंगा तपस्या के दौरान मणिकर्णिकाघाट पर उपवास कर रहे बाबा नागनाथ की हालत नाजुक होने पर प्रशासन ने उन्हें भी मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में उसी कक्ष में भर्ती करा दिया जहां भिक्षु और सानंद जी गंगा तपस्या कर रहे हैं। रविवार की रात नौ बजे एडीएम सिटी, सीओ दशाश्वमेध और चौक इंस्पेक्टर मणिकर्णिकाघाट पहुंचे और बाबा को अस्ताल लाए। हालांकि प्रशासन नागनाथ को अड़भंगी बताते हुए अलग वार्ड में भर्ती कराना चाह रहा था। लेकिन बाबा नागनाथ यह तर्क देते हुए अड़ गए कि उनकी तपस्या का उद्देश्य भी वही है जो सांनद और भिक्षु जी का। उनके तर्क के आगे प्रशासन ने झुकते हुए बाबा को उसी वार्ड में भर्ती करा दिया।