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मरीजों को सेहतमंद बनाती है रम्मन अम्मा की दुआ

Varanasi Updated Tue, 01 May 2012 12:00 PM IST
वाराणसी। होम्योपैथी औषधियों में आस्था रखने वालों की कमी नहीं। ऐसे मरीज सिर्फ चिकित्सकों की दक्षता से सेहतमंद नहीं होते बल्कि उनके साथ रम्मन अम्मा की दुआ भी शामिल होती है। सारनाथ क्षेत्र के पतेरवां ग्रामसभा की भसौड़ी राजभर बस्ती की 70 साल की रम्मन देवी नौ साल से होम्योपैथिक दवाओं के वितरण के काम आने वाली प्लास्टिक की शीशियां बना रही हैं। बुनकरों के इस गांव में उन्होंने नई राह निकाली, जिससे लगभग सौ महिलाएं अपनी गृहस्थी संभाल रही हैं।

राजभर बस्ती की आबादी 650 है। वोट इससे भी कम हैं। लिहाजा विकास की किरण यहां तक नहीं पहुंची है। जिले के अन्य गांवों की तरह यहां भी लोग साडि़यां बुनते थे। पूरा परिवार श्रम करता है। इसमें महिलाओं के श्रम का अलग से आकलन नहीं होता है। एक दशक पहले साड़ी बुनाई का धंधा मंद पड़ने लगा। लोग बुनकरी छोड़कर मजदूरी करने लगे। करघे बंद होने लगे तो महिलाओं के पास काम नहीं रहा। उसी दौर में ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने गांव में बुनकरों की सहायता के लिए तानाबाना योजना की शुरुआत की। संस्था के सहयोग महिलाओं ने लक्ष्मी नाम से स्वयं सहायता समूह का गठन किया। गायत्री देवी उसकी अध्यक्ष बनीं और रम्मन अम्मा कोषाध्यक्ष। रम्मन अम्मा बताती हैं कि उन्होंने बगल के एक गांव में प्लास्टिक की शीशियां बनते देखा था। महिलाओं को साथ लेकर वह वहां गईं और उन्होंने काम सीखा। समूह की सहायता से उन्होंने अपनी एक मशीन लगाई। धीरे-धीरे काम जमने लगा। अच्छी आय होने लगी तो गांव की अन्य महिलाओं ने भी इस काम को शुरू किया। आज गांव में 26 मशीनें लग गई हैं। हर मशीन पर औसतन तीन महिलाएं काम करती हैं। लगातार आठ घंटे तक काम हो तो एक आदमी 150 से 200 रुपये तक कमा लेता है जबकि आठ घंटे की बुनाई में मुश्किल से 65-70 रुपये बनेंगे। रम्मन अम्मा की झोपड़ी की जगह पक्का मकान बन चुका है। पांच बेटियों की शादी हो चुकी है। उनके दो बेटे कच्चे माल की आपूर्ति करते हैं और तैयार शीशियों को बाजार में पहुंचाते हैं। ह्यूमन वेलफेयर के डा. रजनीकांत ने बताया कि पिछले साल इनके कहने पर एक शिक्षा केंद्र खोला गया, जिसमें 23 महिलाएं खाली समय में अक्षर ज्ञान प्राप्त करती हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक समारोह में रम्मन अम्मा को सम्मानित किया था। अम्मा ने उन्हें ‘खूब फलऽ, फूलऽ, आगे बढ़ऽ’ का आशीष दिया था। तब से प्रशासनिक अधिकारी इस गांव के विकास के लिए तत्पर हैं।
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