उन्नाव। सड़क हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने जाम लगाया तो लोगों की मुसीबतें बढ़ गईं। साढ़े सात घंटे जाम में फंसे वाहनों में बैठे यात्री धूप और भूख-प्यास से बेहाल रहे।
मालूम हो कि सड़क हादसे में बच्चे की मौत के बाद करीब नौ बजे भीड़ ने रावल गांव के सामने शव रख कर जाम लगा दिया था। इसके बाद हाईवे की ओर से आने वाले वाहन बाबा खेड़ा होकर अचलगंज मार्ग जाने लगे। इस पर भीड़ ने आजाद स्मारक के सामने सड़क पर खाली ड्रम और लकड़ियां डालकर रास्ता बंद कर दिया। जाम में कई रोडवेज बसों के अलावा जीप, ट्रक और अन्य वाहन घंटों फंसे रहे। जब जाम खुलने की उम्मीद नजर नहीं आई तो कुछ वाहन चालक अचलगंज कसबा से घूमकर उन्नाव होते हुए कानपुर और लखनऊ की ओर गए। जाम में फंसे यात्री भीषण गर्मी से पसीना-पसीना रहे। सबसे बुरा हाल उनका रहा जो परिवार समेत सफर पर निकले थे।
उधर, आक्रोशित भीड़ आजाद मार्ग पर रावल गांव के सामने ब्रेकर बनवाने की मांग कर रही थी। कई घंटे बाद भी जब जाम खुलता नजर नहीं आया तो प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत स्पीड ब्रेकर बनवाने की कवायद शुरू कर दी। करीब तीन बजे पीडब्ल्यूडी कर्मी रावल गांव पहुंच गए और ब्रेकर बनाने का काम भी शुरू कर दिया।
कई को पता ही नहीं था, क्यों लगा जाम
उन्नाव। जाम और हंगामा कर रहे लोगों में अधिकांश को यह तक नहीं मालूम था कि कौन सी मांग पूरी कराने के लिए जाम लगा है। कुछ ने बताया कि ब्रेकर बनवाने के लिए जाम लगाया गया है। अधिकारियों ने ब्रेकर बनवाने की मांग पूरी कर दी मगर इसके बाद भी जाम नहीं खुला। प्रदर्शनकारियों में पुलिस चौकी प्रभारी की कार्यशैली को लेकर भी आक्रोश रहा। कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था बस जाम लगाए रहने की जिद पर कायम रहे। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी प्रदर्शन कर रहे लोगों के बर्ताव से परेशान दिखे।
छुट्टी मनाने आया, दुनिया ही छूट गई
उन्नाव। नौ साल के मयंक को शायद उसकी मौत ही यहां खींच कर ले आई थी। मयंक दिल्ली में कक्षा तीन में पढ़ता था और अभी पंद्रह मई को स्कूल में छुट्टी के बाद से ही वह अपने माता-पिता से गांव चलने की जिद कर रहा था। तीन भाईयों में मयंक मझला था। बड़ा भाई जतिन 11 साल और उसका छोटा भाई आयुष 6 साल का है।
उजड़ी मां-बाप की दुनिया
उन्नाव। बेटे की मौत ने मानो माता-पिता की दुनिया ही उजाड़ दी। पिता रज्जन लाल उर्फ रामू बेटे की लाश देख बेहाल था तो बेटे के शव को सीने से लगाए उसकी मां सोनी शर्मा उसे बार-बार ऐसे हिलाती मानों उसे जगाने का प्रयास कर रही हो। फफकते हुए बार-बार यही कह रही थी कि यह जानती तो वह कभी यहां न आती।
माहौल बिगड़ते देख नर्म हुई पुलिस
उन्नाव। बच्चे की मौत के बाद माहौल बिगड़ते देख पुलिस का रुख नर्म हुआ और वह बल प्रयोग करने के बजाए बातचीत से मसले का हल निकालने के प्रयास में जुट गई। हालांकि तमाम प्रयासों के बाद भी उसे जाम को खुलवाने में सफलता नहीं मिली। शाम को विधायक के पहुंचने के बाद ही जाम खुल पाया।
घटना के समय चौकी में सिर्फ एक सिपाही था
उन्नाव। जिस समय पुलिस चौकी में भीड़ सिपाही और लोडर चालक की पिटाई कर रही थी चौकी में सिर्फ एक ही सिपाही मौजूद था। चौकी प्रभारी मुखराम यादव करीब डेढ़ घंटे बाद पुलिस चौकी पहुंचे। उन्होंने गश्त पर होने और सिग्नल न होने से फोन पर घटना की जानकारी न होने पाने की सफाई दी।