उन्नाव। एनआरएचएम घोटाले ने जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की विकास दर थाम दी है। वित्तीय वर्ष 2010-11 में शुरू हुए स्वास्थ्य उपकेंद्र भवनों का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। इन में कई का निर्माण 75 प्रतिशत तक पूरा भी हो चुका है। घोटाला खुलने के बाद से ही विभाग से इनका फंड रोक दिया गया जिससे यह अधूरे भवन पूर्ण होने से पहले ही खंडहर में तब्दील होना शुरू हो चुके हैं। अधिकारी ऊपरी आदेश का हवाला देकर इस मामले में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले के 14 विकास खंडों में 41 स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए जाने थे। वित्तीय वर्ष 2010-11 में इन उपकेंद्रों की निर्माण लागत 8 लाख 19 हजार रुपया निर्धारित की गई थी। सरकारी निर्माण संस्था पैक्सफेड को इनके लिए निर्माण एजेंसी बनाया गया था। काम शुरू भी हुआ । वित्तीय वर्ष 2010-11 में इनमें से अधिकतर भवन आधे से ज्यादा बन भी गए थे। कई भवन तो 70 प्रतिशत तक बन कर तैयार हैं। प्र्रोजेक्ट का कुल बजट 3 करोड़ पैंतीस लाख 79 हजार रुपया था। इसमें से 41 भवनों के निर्माण में 91 लाख 36 हजार रुपया खर्च भी कर दिया गया। इस बीच एनआरएचएम घोटाला सामने आ गया और महानिदेशालय ने आगे का भुगतान रोक दिया। इससे इन उपकेंद्रों का निर्माण कार्य बंद हो गया।
इन उपकेंद्रों को उन गांवों में बनाया जाना था जो प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से दूरी पर थे। इससे उन गांवों को भी स्वास्थ्य सेवाएं करीब में ही सुलभ हो जातीं। स्वास्थ्य सेवाओं की उन्नति के लिए भारत में चुने गए पांच माडल जिलों में उत्तर भारत में एकमात्र उन्नाव को चुना गया है। इसके तहत जिले में जच्चा-बच्चा मृत्युदर को घटाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाना और गांवों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुुंचाना लक्ष्य था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही गांवों में स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाए जाने थे। लगभग एक साल से बंद पड़े निर्माण कार्य से यह अधूरे बने उपकेंद्र खराब हो रहे हैं। सीएमओ डीपी मिश्रा ने बताया कि निर्माण एजेंसी एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई जांच के दायरे में आने के कारण निदेशालय की ओर से धन रोक दिया गया है जिससे इन भवनों का निर्माण रुका हुआ है।