उन्नाव। बाढ़ की विभीषिका का दंश झेल रहे जिले के किसानों को नौ महीने बाद भी निजात नहीं मिल पाई। किसानों को दी जा रही सौ से पांच सौ रुपए तक आर्थिक सहायता उनके जख्मों पर नमक का काम कर रही है। मुआवजा पाने के लिए किसानों कई-कई दिन धूप में झुलसना पड़ रहा है।
अगस्त 2011 में गंगा नदी की बाढ़ में जिले के हजारों किसानों की लाखों बीघा फसल बह गई थी। पीड़ित किसानों को नौ महीने बाद राजस्व विभाग ने चेकों का वितरण किया तो उनका भुगतान कराने के लिए किसानों को ठोकरें खानी पड़ रही हैं। राजस्व विभाग ने ़बैंक आफ इंडिया और यूको बैंक को इन चेकों का भुगतान करने के लिए अधिकृत किया है। बैंकों में पर्याप्त काउंटर न होने से किसानों को भुगतान कराने के लिए कई कई दिन चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सदर तहसील के सामने स्थित यूको बैंक के सामने कई घंटों से लाइन लगाए खड़े सदर तहसील क्षेत्र के मैकुआ खेड़ा गांव निवासी किसान हरिशंकर ने बताया कि बाढ़ में उसकी सात बीघा धान की फसल नष्ट हुई थी। इसके बदले में उसे 334 रुपए का मुआवजा मिला। चेक का भुगतान न होने से वह दो दिन लौट चुका है और मंगलवार को फिर आया। पूरे दिन बदन झुलसाती धूप झेलने के बाद भुगतान हो पाया। घुरुवा खेड़ा गांव निवासी रज्जनलाल ने बताया कि उसकी दस बीघा फसल नष्ट हुई थी इसके बदले उसे 250 रुपए की चेक मिली। उसने बताया कि लगातार दूसरे दिन बैंक आया है। उसके मुताबिक सोमवार को पूरे दिन लाइन में लगे रहने के बाद भी भुुगतान नहीं हो पाया। खन्ना पुरवा महादीन, कटरी अलुवापुर सरेसा के रामऔतार महिपाल, त्रिभुवनखेड़ा के किसान मो. जमील, केशन कुमार, रमचरामऊ के प्रभाकर आदि किसानों की भी यही समस्या है। तहसीलदार सुरेश कुमार सोनी ने बताया कि बाढ़ से सदर तहसील क्षेत्र के 34 हजार किसान प्रभावित हुए थे। कृषि अनुदान के तहत 2 करोड़ 88 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। किसानों को उनके नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया गया है।
समस्या हल कराएंगे एलडीएम
एलडीएम (लीडिंग बैंक मैनेजर) एसबी कनौजिया ने बताया कि उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि जिन बैंकों को चेकों का भुगतान करने के लिए अधिकृत किया गया है वह उनके शाखा प्रबंधकों से बात कर किसानों को उनकी मुआवजे की चेकों का तुरंत भुगतान करने के लिए कहेंगे।