उन्नाव। लिखित व मौखिक शिकायत करने के बाद भी लाइन न जोड़ने पर उपभोक्ता फोरम ने विद्युत विभाग पर जुर्माना लगाया। कई नोटिसें देने के बाद भी जब विभाग का कोई भी अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ तो फोरम ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए पीड़ित किसान को एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति और 3 हजार रुपए परिवाद व्यय देने के निर्देश दिए। इसके अलावा विभाग निर्णय की तिथि से विद्युत आपूर्ति बहाल किए जाने तक 500 रुपए प्रति माह की दर से राशि अदा करेगा।
उन्नाव तहसील क्षेत्र के आटा गांव निवासी प्रताप नारायण पांडेय वर्तमान में कानपुर के गोविंदनगर मोहल्ले में रहते हैं। उन्होंने गांव में अपने खेतों की सिंचाई के लिए नलकूप में बिजली का कनेक्शन ले रखा था। वह लगातार बिल भी जमा करते रहे। अगस्त 2009 को चोर ट्यूबवेल को गई लाइन के तार काट ले गए। उन्होंने इसकी सूचना बिजली विभाग को दे दी थी। साथ ही नए तार लगवाने के लिए अधिशाषी अभियंता द्वितीय, एसडीओ उपखंड प्रथम गोकुल बाबा मगरवारा, अवर अभियंता मगरवारा और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लखनऊ के मुख्य प्रबन्ध निदेशक से गुहार लगाई थी। एक साल तक विद्युत विभाग उपभोक्ता को लगातार टरकाता रहा और तार नहीं लगवाए। इसके बाद भी 31 मार्च 2012 को 17 हजार 49 रुपए का बिल भी भेज दिया। बताया कि ट्यूबवेल की लाइन न जुड़ने से उन्हें खेती में सालाना डेढ़ लाख का नुकसान हुआ। अधिकारियों के सुनवाई न करने पर प्रताप नारायण ने 17 जून 2010 को उपभोक्ता फोरम की शरण ली। फोरम ने मामले की पत्रावली तलब की। किंतु विद्युत विभाग के अधिकारियों ने वारंट भेजने के बाद भी पत्रावली प्रस्तुत नहीं की। आखिर में उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष पीयूष कुमार और सदस्या सुधा यादव ने फैसला देते हुए विद्युत विभाग को उपभोक्ता को 1 लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति व 3 हजार रुपए परिवाद व्यय के देने के निर्देश दिए। इसके अलावा निर्णय की तारीख से आपूर्ति बहाल किए जाने तक 500 रुपए प्रतिमाह की दर से राशि उपभोक्ता को विद्युत विभाग अदा करेगा।
मनमाना कार्य कर रहा विभाग
उन्नाव। उपभोक्ता फोरम ने निर्णय सुनाते हुए तल्ख टिप्पणी की कि विद्युत विभाग मनमाना कार्य कर रहा है। उसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप उसे पसंद नहीं है। दरअसल फोरम ने यह टिप्पणी उस समय की जब नोटिस भेजकर मामले की पत्रावली तलब की। इसके बाद वारंट भेजा गया लेकिन विभाग ने पत्रावली प्रस्तुत नहीं की। फोरम ने यह माना कि पावर कारपोरेशन की ओर से जिन मामलों में ऐसी गलती होती है और उनके पास कहने को कुछ नहीं होता है तो वह फोरम के सामने उपस्थित नहीं होते हैं। न तो प्रतिवाद पत्र और न ही समन किए गए कागजात दाखिल किए जाते हैं। इस प्रकार यह अत्यन्त गंभीर मामला है जो यह प्रदर्शित करता है कि विपक्षीगण मनमाना कार्य कर रहे हैं। फोरम ने यह भी कहा कि निश्चित रुप से ग्रामीण इलाकों में तार चोरी की घटनाएं सामान्य है लेकिन विभाग का यह दायित्व है कि एक समयावधि के अंदर आपूर्ति बहाल करें, लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं किया जो सेवा में कमी प्रदर्शित करता है।